रूबी राय को पर्यटन विभाग के अंतर्गत पश्चिम बंगाल पर्यटन विकास निगम में ट्रेनी असिस्टेंट मैनेजर के पद पर नियुक्त किया गया है. वह आरंभ में एक वर्ष ट्रेनिंग पर रहेंगी, प्रत्येक महीने उन्हें 20 हजार रुपये वेतन मिलेगा. नवान्न में मुख्यमंत्री से नियुक्ति पत्र ले कर बाहर निकलते समय रूबी राय ने कहा कि इसके लिए वह मुख्यमंत्री की की आभारी हैं. उन्होंने मुझसे मां की तरह बात की आैर काफी कुछ समझाया. तुम्हारी उम्र अभी काफी कम है. यह नौकरी तुम्हारे भविष्य को सुरक्षित करेगी.
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संजय राय की पत्नी को नौकरी
काेलकाता: राज्य सरकार ने गलत चिकित्सा व इलाज में लापरवाही की भेंट चढ़े संजय राय की पत्नी रूबी राय को नौकरी दी. गुरुवार को रूबी कालीघाट स्थित मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निवास स्थल पर जा कर उनसे मिलीं. उसके बाद मुख्यमंत्री ने उन्हें नवान्न बुलाया, जहां पहुंचने पर मुख्यमंत्री ने उनके हाथों में सरकारी नौकरी […]
काेलकाता: राज्य सरकार ने गलत चिकित्सा व इलाज में लापरवाही की भेंट चढ़े संजय राय की पत्नी रूबी राय को नौकरी दी. गुरुवार को रूबी कालीघाट स्थित मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निवास स्थल पर जा कर उनसे मिलीं. उसके बाद मुख्यमंत्री ने उन्हें नवान्न बुलाया, जहां पहुंचने पर मुख्यमंत्री ने उनके हाथों में सरकारी नौकरी का नियुक्ति पत्र सौंप दिया.
मृतक संजय राय की पत्नी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया है कि संजय राय की मौत की सही से जांच की जा रही है आैर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी.
क्या है अस्पताल पर आरोप
मृतक की पत्नी रुबी राय ने अस्पताल पर गलत चिकित्सा, इलाज में लापरवाही, अधिक बिल समेत कई प्रकार के आरोप लगाया. आरोप सामने आते ही स्वास्थ्य विभाग ने घटना की जांच शुरू कर दी. जांच में अपोलो अस्पताल की लापरवाही सच साबित हुई है. दूसरी तरफ पुलिस भी घटना की जांच कर रही है.
क्या है मामला : गौरतलब है कि हुगली के डानकुनी निवासी संजय राय पिछले 16 फरवरी को हावड़ा के बालटीकुरी के पास एक सड़क हादसे में बुरी तरह घायल हुए थे. इलाज के लिए संजय को पहले बालटीकुरी ईएसआइ अस्पताल ले जाया गया था, जहां से बाद में उन्हें अपोलो अस्पताल ले जाया गया. वहां छह दिन इलाज के लिए अस्पताल ने सात लाख 41 हजार रुपये का बिल थमा दिया. मध्य वर्गीय परिवार के लिए इतनी बड़ी रकम की व्यवस्था करना बेहद कठिन था. परिवारवालों ने तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी के दफ्तर से संपर्क किया. सांसद की सहायता से संजय को एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती करने की व्यवस्था की गयी आैर यहीं से समस्या की शुरुआत हुई. आरोप है कि अपाेलो अस्पताल ने बार-बार अनुरोध किये जाने के बावजूद बिल का भुगतान नहीं किये जाने तक रोगी को छोड़ने से इनकार कर दिया. बाध्य हो कर परिवारवालों को अपने बैंक के फिक्स्ड डिपोजिट के कागजात अस्पताल में जमा करने पड़े, तब जा कर अपोलो अस्पताल संजय को छोड़ने के लिए राजी हुआ. इसके बाद 23 फरवरी को रात साढ़े दस बजे संजय को एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां दूसरे ही दिन उसकी मौत हो गयी.
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