इन्हें कोई नियुक्ति नहीं दी गयी है. इन्हें रोजाना 141.80 रुपये दिये जाते हैं. इन्हें मूल रूप से भीड़ नियंत्रण के लिए इस्तेमाल किया जाता है. वर्ष 2011 के सितंबर में हावड़ा, आसनसोल व दुर्गापुर में इनकी नियुक्ति को लेकर एक अधिसूचना जारी की गयी थी. तीन नवंबर 2012 को एक लाख सिविक वॉलंटियर्स की नियुक्ति की अधिसूचना जारी की गयी थी. 25 फरवरी 2013 में एक अधिसूचना जारी की गयी थी जिसमें कहा गया था कि एक मार्च से इंटरव्यू शुरू होगा, जो 17 मार्च तक चलेगा. अदालत ने इस पर प्रश्न किया कि सफल उम्मीदवारों को चुनने का क्या आधार था, इन्हें कैसे चुना गया. एडवोकेट जनरल ने कहा था कि उम्मीदवार कम से कम माध्यमिक उत्तीर्ण तथा एनसीसी आदि का प्रशिक्षण होने पर आवेदन कर सकते थे.
अदालत ने सवाल किया कि उम्मीदवारों की होमगार्ड या पुलिस बल के तहत नियुक्ति क्यों नहीं की गयी? इस पर एडवोकेट जनरल ने कहा कि इन्हें केवल ट्रैफिक व भीड़ नियंत्रण के लिए इस्तेमाल किया जाता है लिहाजा इन्हें नियुक्ति नहीं दी जा सकती. इसपर अदालत ने कहा कि बगैर किसी अधिकार के इन्हें क्यों नियुक्त किया गया, ये क्या केवल पुलिस की सहायता के लिए हैं? अदालत ने यह भी पूछा कि इन सिविक वॉलंटियर्स की शारीरिक फिटनेस का क्या दिशा-निर्देश है? बुधवार को मामले की फिर से सुनवाई होगी.