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प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में धांधली का आरोप, बौखलाये अभ्यर्थी, राज्यभर में घेराव व विरोध प्रदर्शन

कोलकाता: प्राथमिक शिक्षक की नियुक्ति प्रक्रिया में धांधली का मामला सामने आने के साथ ही महानगर सहित राज्य भर में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. शुक्रवार को राज्य के प्राय: सभी जिलों में अभ्यर्थियों ने विरोध प्रदर्शन किया. कई जगहों पर पुलिस ने प्रदर्शन करनेवालों पर लाठियां तक बरसायीं. शुक्रवार को अभ्यर्थियों […]

कोलकाता: प्राथमिक शिक्षक की नियुक्ति प्रक्रिया में धांधली का मामला सामने आने के साथ ही महानगर सहित राज्य भर में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. शुक्रवार को राज्य के प्राय: सभी जिलों में अभ्यर्थियों ने विरोध प्रदर्शन किया. कई जगहों पर पुलिस ने प्रदर्शन करनेवालों पर लाठियां तक बरसायीं. शुक्रवार को अभ्यर्थियों और उनके अभिभावक बारासात महात्मा गांधी मेमोरियल हाइस्कूल के सामने विरोध प्रदर्शन करना शुरू किया.
क्या कहना है अभ्यर्थियों का
उनका दावा है कि प्राथमिक शिक्षक की नियुक्ति प्रक्रिया में धांधली हो रही है. सैकड़ों अभ्यर्थियों का कहना है कि जब वह आज अपना नियुक्ति पत्र लेने वहां पहुंचे थे, तो उन्हें कहा गया कि पारा टीचर के प्रमाण पत्र के बिना नियुक्ति पत्र नहीं दी जायेगी. लेकिन आखिर क्यों. नियुक्ति-पत्र लेने पहुंचे अभ्यर्थियों का दावा है कि टेट के फॉर्म में दो ऑप्शन थे, पारा टीचर व अन्य. लेकिन उनलोगों ने अन्य ऑप्शन पर निशान लगाया था. उसके बाद भी उन लोगों से पारा टीचर का प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है. यह समस्या पूरे राज्य भर में देखने को मिल रही है, जो लोग शुक्रवार को नियुक्ति-पत्र लेने पहुंचे थे, उनमें से सैकड़ों को यही कारण बता कर नियुक्ति पत्र नहीं सौंपा गया.
कई जिलों में प्रदर्शन
उत्तर 24 परगना जिले के बारासात की तरह नदिया जिले में कृष्णानगर, पश्चिम मेदिनीपुर में झाड़ग्राम, मालदा जिले में इसलामपुर, उत्तर बंगाल में सिलीगुड़ी सहित कई क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन किया. मेदिनीपुर में उम्मीदवारों के साथ एसयूसीआइ के समर्थकों ने भी विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया. पुलिस ने मामले को शांत करने के लिए प्रदर्शनकारियों पर लाठियां बरसायीं.
टेट में धांधली को लेकर जिला भाजपा की ओर से पुरूलिया में विरोध प्रदर्शन किया गया और वहां प्रदर्शनकारियों ने राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी का पुतला जलाया. प्रदर्शनकारियों ने दावा करते हुए कहा कि प्राथमिक शिक्षक पद पर नियुक्ति को लेकर धांधली की गयी है, इसकी सीबीआइ जांच होनी चाहिए. अभ्यर्थियों का आरोप है कि हमारे पास होने की खबर हमें एसएमएस के माध्यम से दी गयी थी. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. राज्य सरकार ने परीक्षा पास करनेवालों की कोई सूची प्रकाशित नहीं की.
क्या है मामला
टेट के परिणामों की घोषणा राज्य सरकार कर चुकी है और अब सभी लोगों को नियुक्ति-पत्र देने का जिम्मा संबंधित जिला प्राथमिक शिक्षा संसद को सौंपा गया है. अधिकांश जिला प्राथमिक शिक्षा संसद कार्यालय में नौकरी पानेवाले उम्मीदवारों की सूची नहीं लगायी गयी है. यहां तक कि नियुक्ति-पत्र के लिए भी राज्य सरकार ने कॉल लेटर नहीं दिया है, बल्कि एसएमएस के माध्यम से उम्मीदवारों को सूचना दी गयी थी. कई लोगों को एसएमएस तो मिला था, लेकिन जब वह नियुक्ति-पत्र लेने पहुंचे, तो उनका वहां नाम नहीं था. साथ ही नियुक्ति-पत्र देते समय उम्मीदवारों से पारा टीचर का प्रमाण पत्र पेश करने को कहा जा रहा है. कई उम्मीदवारों का कहना है कि टेट फॉर्म में उन्होंने अन्य ऑप्शन पर निशान लगाया था, उसके बावजूद उनसे पारा टीचर का प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है.

प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति में 10 हजार करोड़ का घोटाला : सुजन
माकपा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती ने आरोप लगाया कि प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति में लगभग 10 हजार करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है. उन्होंने कहा कि लगभग दो लाख छात्रों से पांच लाख रुपये लिये गये हैं. रुपये लेकर नामों को बदला जा रहा है. श्री चक्रवर्ती ने कहा कि अभी तक शिक्षा विभाग ने सफल अभ्यर्थियों की सूची नहीं जारी की, जबकि शिक्षा विभाग की ओर से हाइकोर्ट में कहा गया कि 42 हजार प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति हो गयी है. उन्होंने चुनौती दी कि सरकार 42 हजार शिक्षकों की सूची जारी करे. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा विरोधी दलों पर तोड़फोड़ की राजनीति करने का आरोप लगाये जाने पर श्री चक्रवर्ती ने कहा कि विधानसभा में तोड़फोड़ किसने की थी? दुर्गापुर हाइवे के पास तोड़फोड़ किसने की थी? वास्तव में तोड़फोड़ का डीएनए तृणमूल कांग्रेस में है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री विधायकों को दूरदर्शी होने की बात कह रही हैं, लेकिन तृणमूल के नेता सामाजिक कार्य कर करोड़ों रुपये की संपत्ति के मालिक हो जा रहे हैं. माकपा के लोग ऐसा दूरदर्शी नहीं होना चाहते हैं. वे राज्य के हित में कार्य करना चाहते हैं.श्री चक्रवर्ती ने कहा कि मुख्यमंत्री के पास सच बोलने का साहस नहीं है. प्रत्येक शुक्रवार को उनके विधानसभा आने का दिन आवंटित है, लेकिन वह कभी भी विधायकों के प्रश्नों का जवाब नहीं देती हैं. वह विधायकों और विधानसभा से डर रही हैं.

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