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धूलागढ़ में महिला आयोग, ममता सरकार की भूमिका पर सवाल
हावड़ा : राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम ने मंगलवार को धूलागढ़ का दौरा कर हमले की घटना के पीड़ितों से बातचीत की और उनका हाल जाना. केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर धूलागढ़ पहुंची राष्ट्रीय महिला आयोग की चार सदस्यीय टीम ने घटनास्थल का दौरा कर एक-एक पीड़ित महिला की आपबीती सुनी. आयोग की सदस्यों […]
हावड़ा : राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम ने मंगलवार को धूलागढ़ का दौरा कर हमले की घटना के पीड़ितों से बातचीत की और उनका हाल जाना. केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर धूलागढ़ पहुंची राष्ट्रीय महिला आयोग की चार सदस्यीय टीम ने घटनास्थल का दौरा कर एक-एक पीड़ित महिला की आपबीती सुनी. आयोग की सदस्यों को देख पीड़ित महिलाएं फफक-फफक कर रो पड़ीं. कई पीड़ितों ने अकेले में अपना दर्द बयां किया.
पीड़ितों ने बताया कि 13 दिसंबर की रात झुंड में पहुंचे हमलावरों ने हथियारों के बल पर किस तरह उनकी आबरू लूटी व घर को आग के हवाले कर दिया. दोपहर 12 बजे से लेकर ढाई बजे तक राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम ने पूरे घटनास्थल का दौरा किया. इस दौरान देवानघाटा में दूसरे पक्ष की महिलाओं ने आयोग की टीम को रोकते हुए बदसुलूकी की, लेकिन पुलिस के हस्तक्षेप के बाद टीम वहां से सुरक्षित निकल गयी. टीम प्रमुख सुषमा साहू ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाये हैं.
बहुत गर्व हुआ था उस दिन, जब एक महिला बंगाल की मुख्यमंत्री बनी थी लेकिन आज गर्व शर्म में तब्दील हो गया है. राज्य सचिवालय घटनास्थल से 20 मिनट की दूरी पर है, लेकिन सीएम अब तक पीड़ितों से मिलने नहीं गयी हैं. अब वह मुख्यमंत्री नहीं, प्रशासक बन गयी हैं. पूरी घटना की रिपोर्ट गृह मंत्रालय को जल्द साैंपी जायेगी.
-सुषमा साहू, सदस्य, राष्ट्रीय महिला आयोग
राष्ट्रीय महिला अायोग की सदस्य सुषमा साहू ने कहा: धूलागढ़ के पीड़ितों से मिलने पर बहुत दुख हुआ. उनके घर जलाये गये हैं. महिलाओं का यौन उत्पीड़न तक किया गया है. अभी भी लोग वहां खौफ के साये में जी रहे हैं. इतनी बड़ी घटना घट गयी, लेकिन पुलिस की कार्रवाई को देख कर ऐसा लगा कि जैसे यह एक मामूली घटना हो. उन्होंने कहा: राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम के आने की खबर मिलते ही जल चुके घरों को पुलिस की तरफ से रंग कराया गया. कितनी विचित्र घटना है कि जब घर जलाये जा रहे थे, तब वहां पुलिस नहीं पहुंची, लेकिन हमारे आने की खबर पाकर पुलिस घरों को रंगवा रही है, ताकि हम सबों को यह समझ में आये कि कोई घटना ही यहां नहीं घटी थी. पुलिस अपनी गलती छुपाने के लिए कहानी गढ़ रही है. पीड़ितों के नाम से ही एफआइआर कर दी गयी है. ये कैसी पुलिस की कार्रवाई है, यह मैं नहीं जानती. बड़े शर्म की बात है कि आज भी यहां पीड़ित महिलाएं एक साड़ी में दिन काट रही हैं. उनकी जमापूंजी जला दी गयी आैर राज्य सरकार 35 हजार रुपये का मुआवजा देती है. यह मुआवजा नहीं, भीख है.
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