कोलकाता नगर निगम का कहना था कि इस संबंध में कुछ विशेष दिशानिर्देश (गाइडलाइंस) हैं, जिन्हें सिफारिशों को मंजूर करने से पहले पालन करना जरूरी है.
अदालत का कहना था कि निगम गाइडलाइंस का भले पालन करे, लेकिन उन्हें कुणाल घोष की सिफारिशों पर विचार करना होगा. उल्लेखनीय है कि 2013 के नवंबर महीने में कुणाल घोष को जेल जाना पड़ा था. जेल में दो वर्ष रहने के दौरान उन्होंने अपने एमपी लैड फंड से कुल 91 परियोजनाओं को वित्तीय मदद के लिए सिफारिश की थी. इनमें नारकेलडांगा-राजाबाजार बस्ती के विकास के अलावा जेल व थाने का विकास कार्य भी शामिल था.