उन्होंने कहा कि नोटबंदी के पहले देश की इकॉनोमी करीब 7.2 फीसदी थी. इसकी ठीक-ठीक जानकारी सरकार को छोड़कर किसी के पास नहीं. उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद जब पूरा देश एक विकट स्थिति से गुजर रहा था, तब बैंक कर्मियों ने काफी बेहतर कार्य किया.
उन्होंने यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया समेत देश के सभी बैंक कर्मियों की सराहना की. वहीं ऑल इंडिया बैंक ऑफिर्सस कॉन्फेडरेशन के उपाध्यक्ष तथा यूनियन बैंक ऑफिर्सस फेडरेशन के महासचिव देवाशीष घोष ने कहा कि पब्लिक सेक्टर बैंक भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. देश की अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए बैंकिंग सेक्टर की काफी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है. बैंकिंग सेक्टर धर्म व सेवा करने के लिए नहीं चलाये जाते है. लेकिन अब ऐसी स्थिति पैदा हो गई है कि बैंक कर्मियों को जनधन खाता खोलने व नोटबंदी से पैदा हुई स्थिति से निबटने लिए व्यस्त रहना पड़ता है. ऐसे में बैंक कर्मियों को काफी परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है.