पत्र मिलते ही मुख्यमंत्री भड़क गयीं आैर उन्होंने मुख्य सचिव को कड़े शब्दों में इसका जवाब देने का निर्देश दिया. राज्य सरकार का कहना है कि जब शहरों के ही बहुत सारे इलाकों में इंटरनेट परिसेवा सही से उपलब्ध नहीं है तो डिजिटाइजेशन की बात कहां से आती है.
गांवों में इसे किसी तकनीक से लागू किया जायेगा. इस प्रकार ऑनलाइन व्यवस्था चालू करने का मतलब लोगों को परेशानी में डालना है. पश्चिम बंगाल में 800 से अधिक ऐसे गांव हैं, जहां किसी प्रकार की बैंकिंग परिसेवा पाने के लिए लोगों को काफी दूर जाना पड़ता है. 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में गांवों की संख्या 37469 है. राज्य में बैंकों की कुल 8028 शाखाएं हैं.
अर्थात प्रत्येक ग्यारह किलोमीटर में एक शाखा स्थित है. इसके अलावा दूरदराज के इलाकों में विभिन्न बैंक के लगभग 15 हजार बैंक मित्र नामक कस्टमर सर्विस प्वांयट हैं. इनमें से अधिकतर अनियमित हैं. राज्य सरकार का कहना है कि पंचायतों से जगह दिये जाने के बावजूद वाणिज्यिक रूप से लाभान्वित न होने का बहाना कर राष्ट्रीय बैंक वहां शाखा खोलने के लिए कोई प्रयास नहीं करते हैं. फलस्वरूप लोगों को बैंक जाने के लिए 10-15 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. इस स्थिति में डिजिटलाइजेशन व ऑनलाइन सर्विस शुरू करने से किसी को लाभ नहीं होगा. हालांकि राज्य सरकार ने स्वयं कई विभागों में निचले स्तर पर ई-गवर्नेंस व्यवस्था पहले ही चालू कर दी है.