कोलकाता. मेडिकल साइंस के इस युग में डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने तो चिकित्सक को भगवान का एजेंट बताया है, लेकिन कई बार धरती का भगवान अथवा भगवान के कुछ एजेंट कुछ ऐसी गलती करते देते हैं, जिससे इस भगवान पर से ही भरोसा उठने लगता है. एक ऐसी ही घटना महानगर में घटी. गलत चिकित्सका की वजह से 1.7 माह का एक शिशु इन दिनों जिंदा लाश बना हुआ है. गलत चिकित्सा की वजह से शिशु की 80 फीसदी ब्रेन डेथ हो गयी है. घटना महानगर के पार्क क्लीनिक की है.
शिशु का नाम अभिज्ञान साहा है. अभिज्ञान को डायरिया की शिकायत पर गत वर्ष 28 सितंबर को महानगर के मिंटो पार्क स्थित उक्त अस्पताल में दाखिल कराया गया. अभिज्ञान को एक दिन बाद यानी 29 सितंबर अस्पताल से छुट्टी दी जानी थी, लेकिन इससे पहले उसे पोटैशियम क्लोराइट का डॉ ने इंजेक्शन दे दिया जिसके कारण शिशु की हृदय गति रुक गयी और फिर उसके 80 फीसदी ब्रेन ने काम करना बंद कर दिया. शिशु वर्तमान समय में महानगर के मल्लिक बाजार स्थित एक निजी न्यूरो अस्पताल में भर्ती है. यह जानकारी पीपल फॉर बेटर ट्रीटमेंट (पीबीटी) के अध्यक्ष डॉ कुणाल साहा ने दी. वह पीबीटी की ओर से आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे.
अस्पताल बंद हो, डॉक्टर को किया जाये गिरफ्तार : डॉ साहा ने कहा कि पोटैशियम क्लोराइट का इंजेक्शन आपातकालीन स्थिति में लगाया जाता है. डायरिया के नियंत्रित न होने पर इसे लगाया जाता है, लेकिन इतने छोटे बच्चे को इसे इंजेक्शन के रूप में नहीं दिया जाता है बल्कि सेलाइन के जरिए धीरे-धीरे इसे चढ़ाया जाता है. शिशु को आईवी चैनल के जरिए इसे दिया गया था इसलिए उसकी हृदय गति रुक गयी और वह कोमा में चला गया. उन्होंने शिशु की चिकित्सा कर रहे डॉ असित कांति पाल व नर्स पूनम देवनाथ को गिरफ्तार किया जाने की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने की भी मांग की है. उन्होंने पीबीटी की ओर से अपने इस मांग को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पास भी भेजा है.
माता-पिता ने की मुआवजे की मांग : अभिज्ञान की मां स्वीटी पाल व पिता मनोजित कुमार साह ने मुआवजे की मांग की है. मां स्वीटी पाल इस दौरान भावुक हो उठीं. उन्होंने कहा कि अभिज्ञान को इस स्थिति से निकाल पाना संभव नहीं. इसलिए स्वीटी ने सरकार से अपने शिशु के लिए मुआवजे की मांग की है.