इन्हीं बीमारियों में से एक मोटापा है. मोटापा को साइलेंट क्लिर के रूप में जाना जाता है. इसे मधुमेह, रक्तचाप सहित अन्य जटिल बीमारियों का भी कारक माना जाता है. एक रिपोर्ट के अनुसार, शहर में रहनेवाली करीब 23 प्रतिशत महिलाएं तथा 20 प्रतिशत पुरुष मोटापे की चपेट में हैं. रहन-सहन व खानपान में बदलाव और व्यायाम के अभाव में मोटापे की समस्या विकराल रूप लेती जा रही है.
ये बातें अपोलो हॉस्पिटल के ऑर्थोपेडिक विभाग के वरिष्ट डॉ अभीक कर ने कहीं. उन्होंने बताया कि भारत में हर साल करीब 15 मिलियन लोग इस बीमारी के चपेट में आते हैं. अगर यही स्थिति रही तो वर्ष 2025 तक देश में करीब 60 मिलियन लोग इस बीमारी की चपेट में होंगे. उन्होंने बताया कि मोटापे के शिकार लोग ऑस्टियोआर्थराइटिस के भी चपेट में आ सकते हैं.
एक समय था जब अधेड़ उम्र के लोग इस बीमारी के शिकार होते थे, लेकिन अब खानपान व जीवन शैली में बदलाव के कारण युवा वर्ग भी इसकी चपेट में हैं क्योंकि मोटापे के कारण हमारे शरीर का वजन घुटने व कमर पर प्रभाव डालता है. ऐसे में अत्यधिक वजन को सहन न कर पाने की स्थिति में घुटने व कमर कमजोर होने लगते हैं और लोग ऑस्टियोआर्थराइटिस की चपेट में आ जाते हैं. उन्होंने कहा कि उचित चिकित्सा पद्धति से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है. कई बार जरूरत पड़ने पर चिकित्सक सर्जरी का भी सहारा लेते हैं.