बात यदि तीन तलाक के मुद्दे का हो, तो इसलाम में लैंगिक समानता की बात है न कि लैंगिक उत्पीड़न का? इसलाम ने कभी भी महिलाओं के उत्पीड़न की बात नहीं की है. ये बातें केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने शनिवार को कहीं. वह महानगर में हंगर फ्री वेस्ट बंगाल कैंपेन, प्रगतिशील मुसलिम समाज तथा इंडिपेंडेंट जर्नलिस्ट सोसाइटी द्वारा संयुक्त रूप से ‘तीन तलाक और आधुनिक दौर में मुसलिम महिलाएं’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे. उन्होंने तीन तलाक के मुद्दे पर ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआइएमपीएलबी) पर निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया कि एआइएमपीएलबी ‘मेल पर्सनल लॉ बोर्ड’ बन गया है.
‘तीन तलाक’ को हटाने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि मुसलिम समुदाय में शादी करते हुए आपको महिला से अनुमति की जरूरत होती है, तो फिर तलाक के दौरान पुरुष ही क्यों शर्त तय करे? अगर देश और अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाना है, तो हमें महिलाओं को साथ लेकर चलने की जरूरत है. संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार गीतेश शर्मा ने कहा कि स्त्री-पुरुषों का अधिकार समान होना चाहिए. इसके लिए धर्म से अलग हट कर सोचना जरूरी है. हमें ही समान अधिकार की गारंटी देनी होगी. इसमें हिंदू, मुसलिम हर धर्म के लोग शामिल हैं. मौके पर मौजूद सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अशोक गांगुली ने कहा कि संविधान में समान अधिकार की व्यवस्था है. संविधान की धारा 44 में यह प्रावधान है. समान नागरिक संहिता (यूनिफार्म सिविल कोड) महिला अधिकार के लिए अहम है. तनवीर नसरीन समेत कई मुसलिम महिलाओं ने तीन तलाक की प्रथा का पुरजोर विरोध किया है.