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अघोषित आपातकाल जैसे हैं हालात : तीस्ता

कोलकाता : मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने शनिवार को महानगर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि देश अघोषित आपातकाल की पीड़ा से जूझ रहा है. उन्होंने स्थिति में सुधार के लिए मानवाधिकार आंदोलनों को जन आंदोलनों में बदलने पर भी जोर दिया. सीतलवाड़ ने कोलकाता में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के मौके पर कहा कि […]

कोलकाता : मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने शनिवार को महानगर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि देश अघोषित आपातकाल की पीड़ा से जूझ रहा है. उन्होंने स्थिति में सुधार के लिए मानवाधिकार आंदोलनों को जन आंदोलनों में बदलने पर भी जोर दिया.
सीतलवाड़ ने कोलकाता में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के मौके पर कहा कि देश अघोषित आपातकाल के दौर से गुजर रहा है. यह बेहद चिंता का विषय है कि महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में, जहां भाजपा शासन है, वहां राज्य के कानून केंद्र के अध्यादेश की तरह बिना किसी प्रतिवाद के पारित हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि 2006 के वन अधिकार अधिनियम से लेकर 2013 के भूमि अधिग्रहण अधिनियम तक सभी को कार्यकारी आदेशों के जरिये खारिज किया जा रहा है.
तीस्ता ने कहा के भारत में अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ प्रहार नयी बात नहीं है, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार के तहत इस चुनौती में कई गुणा ज्यादा इजाफा हुआ है. वर्तमान हालात में अगर मानवाधिकार आंदोलनों को जन आंदोलन नहीं बनाया जायेगा, तो सुधार की गुंजाइश बेहद कम है.

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