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तीन तलाक प्रथा खत्म करने की मांग

कोलकाता. पिछले महीने पार्क सर्कस मैदान में आयोजित ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सभा में शामिल हो कर लाखों मुसलमानों ने जहां तीन तलाक प्रथा का समर्थन किया था, वहीं कुछ मुसलिम संगठनों ने तीन तलाक प्रथा को खत्म करने की मांग की है. शनिवार को एक संवाददाता सम्मेलन में यह मांग रखते […]

कोलकाता. पिछले महीने पार्क सर्कस मैदान में आयोजित ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सभा में शामिल हो कर लाखों मुसलमानों ने जहां तीन तलाक प्रथा का समर्थन किया था, वहीं कुछ मुसलिम संगठनों ने तीन तलाक प्रथा को खत्म करने की मांग की है.

शनिवार को एक संवाददाता सम्मेलन में यह मांग रखते हुए सेकुलर मिशन नामक संस्था के सचिव उसमान मलिक ने कहा कि मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक प्रथा का समर्थन कर हमारा सर शर्म से झुका दिया है. पश्चिम बंगाल के अधिकतर मुसलमान इससे सहमत नहीं हैं. संविधान ने जब सभी महिला व पुरुष को समान अधिकार दिया है तो ऐसे में मुसलिम पुरुषों को तीन तलाक का अधिकार कैसे मिल सकता है. इसे फौरन खत्म करना होगा.

उन्होंने कहा कि तीन तलाक की प्रथा असल में देश की दस करोड़ मुसलिम महिलाआें को उनके अधिकारों से वंचित रखने का प्रयास है. देश में हिंदू व मुसलमान के लिए अलग कानून क्यों, सभी के लिए समान कानून होना चाहिए. यूरोप में जब समान नागरिक संहिता है तो हमारे देश में क्यों नहीं हो सकता. केवल वोट बैंक की राजनीति के उद्देश्य से तीन तलाक की प्रथा को बढ़ावा दिया जा रहा है.

बर्दवान यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर डॉ तनवी नसरीन ने कहा की मुंह से तीन बार तलाक कह देने से तलाक नहीं हो जाता है. यह पूरी तरह नाजायज व अवैध है. कुरान शरीफ में तलाक के लिए नियम बताये गये हैं. तीन तलाक की बात करनेवालों ने हकीकत में कुरान पढ़ा ही नहीं है. यह पूरी तरह गैर इसलामी है. जिस तरह हाजी अली की दरगाह में मुसलिम महिलाआें को प्रवेश का अधिकार मिला है, उसी तरह एक दिन तीन तलाक प्रथा को खत्म करने के लिए चल रहे आंदोलन को भी सफलता मिलेगी.

पूर्व आइपीएस नजरूल इसलाम ने कहा कि महिलाआें व पुरुषों को समान अधिकार दिया गया है. मुसलिम समाज में अधिकतर लोगों अशिक्षित अथवा कम पढ़े-लिखे हैं. इसलिए वह बातों को सही तरह से समझ नहीं पाते हैं. उनकी इस कमजोरी का कुछ लोग व धर्मगुरू नाजायज फायदा उठाते हैं. वह अपने फायदे के लिए उनका इस्तेमाल करते हैं.

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