इस मामले को रफा दफा करने के लिए मेला समाप्त होने के चार महीने बाद काकद्वीप के बीडीओ को डेढ़ करोड़ की राशि के खर्च का ब्योरा तैयार करने का आदेश दिया गया. उन्होंने तत्कालीन जिला परिषद के अतिरिक्त डीएम देवकी नंदन को साफ तौर पर अपनी नाराजगी जाहिर कर दी जिसके बाद उनको शो कॉज कर तबादला भी कर दिया गया. बाद में नवान्न से इस मामले में जिलाधिकारी को सफाई देने के लिए कहा गया जिस पर उन्हाेंने समय की कमी का हवाला देते हुए मौखिक रूप से टेंडर देने की बात स्वीकार की. इसी को ध्यान में रखकर नवान्न से यह निर्देश जारी किया गया है.
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गंगासागर मेले में इस बार ई-टेंडर के बिना काम नहीं
कोलकाता. पिछले साल गंगासागर मेले में बिना टेंडर के डेढ़ करोड़ की राशि निर्गत करने के आरोप पर संज्ञान लेते हुए नवान्न से जिलाधिकारी कार्यालय में बिना टेंडर के काम प्रारंभ नहीं करवाने का निर्देश दिया गया है जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पांच लाख तक की राशि का काम टेंडर व […]
कोलकाता. पिछले साल गंगासागर मेले में बिना टेंडर के डेढ़ करोड़ की राशि निर्गत करने के आरोप पर संज्ञान लेते हुए नवान्न से जिलाधिकारी कार्यालय में बिना टेंडर के काम प्रारंभ नहीं करवाने का निर्देश दिया गया है जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पांच लाख तक की राशि का काम टेंडर व उससे ऊपर की राशि के लिए ई-टेंडर जरूरी है. इसके बिना कोई भी राशि निर्गत नहीं की जा सकती है.
गौरतलब है कि पिछली बार गंगासागर मेले में जिलाधिकारी कार्यालय से तकरीबन डेढ़ करोड़ की राशि बिना किसी टेंडर की प्रक्रिया के निर्गत की गयी थी जिसमें कथित रूप भ्रष्टाचार का आरोप जिला प्रशासन के कई अधिकारियों पर लगा था और जांच के बाद दो बड़े अधिकारियों का तबादला भी हुआ था. उल्लेखनीय है कि पिछली बार गंगासागर मेले में बाबूघाट से लेकर सागर तक विभिन्न प्रकार के बैनर व पोस्टर लगाये गये थे जिसमें डेढ़ करोड़ रुपये खर्च दिखाया गया था. इसके लिए ई-टेंडर के बिना ही एक फर्म को कार्य सौंप दिया गया था. आरोप था कि वह जिलाधिकारी पीबी सलीम के करीबी लोगों में शामिल है.
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