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कर्मचारियों ने नजरअंदाज किया सरकारी फरमान
कोलकाता. नोटबंदी के खिलाफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी देशभर में आंदोलन कर रही हैं. लेकिन उनके राज्य के ही सरकारी कर्मचारियों ने नोटबंदी पर उनके फरमान को नजरअंदाज कर दिया है. या यूं कहें कि अघोषित रूप से मुख्यमंत्री के आंदोलन का विरोध जताया है. बता दें कि नोटबंदी के बाद राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों […]
कोलकाता. नोटबंदी के खिलाफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी देशभर में आंदोलन कर रही हैं. लेकिन उनके राज्य के ही सरकारी कर्मचारियों ने नोटबंदी पर उनके फरमान को नजरअंदाज कर दिया है. या यूं कहें कि अघोषित रूप से मुख्यमंत्री के आंदोलन का विरोध जताया है. बता दें कि नोटबंदी के बाद राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों की सहूलियत के लिए अग्रिम नगद राशि उठाने के लिए आवेदन करने का प्रस्ताव पेश किया है. सरकार ने विभिन्न श्रेणियों के कर्मचारियों को दो से पांच हजार रुपये अग्रिम नकद देने की बात कही थी और कर्मचारियों को इसके लिए आवेदन करने को कहा था.
राज्य सचिवालय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कर्मचारी सरकार के इस फैसले से खुश नहीं है और अब तक पांच प्रतिशत कर्मचारियों ने ही इसके लिए आवेदन किया है. 95 प्रतिशत कर्मचारियों ने आवेदन जमा नहीं किये. हालांकि सरकार ने आवेदन की तिथि 25 नवंबर से बढ़ा कर 30 नवंबर तक कर दिया है. इस संबंध में पश्चिम बंगाल राज्य सरकारी कर्मचारी संयुक्त कमेटी के महासचिव तापस त्रिपाठी और बंगीय शिक्षक व शिक्षाकर्मी समिति के सह सचिव स्वपन मंडल ने कहा कि मुख्यमंत्री नोटबंदी के खिलाफ जाे आंदोलन कर रही हैं, उसके पीछे की मंशा लोग समझ रहे हैं. सरकारी कर्मचारियों को बकाया डीए का भुगतान नहीं किया जा रहा, वेतन अायोग की सिफारिशें अब तक लागू नहीं की गयी, एेसे में राज्य सरकार द्वारा यह घोषणा एक छलावा है. संभवत: इसी वजह से सरकारी कर्मचारी इस प्रस्ताव को नहीं मान रहे हैं.
सरकारी कार्यालयों में सामान्य रही उपस्थिति
नोटबंदी के मुद्दे पर बुलाये गये वामदलों के बंगाल बंद का कोई खास असर नहीं पड़ा. हड़ताल के दिन पश्चिम बंगाल में जनजीवन स्वाभाविक नजर आया. अन्य दिनों की तरह दफ्तर, बाजार, दुकान, स्कूल-कॉलेज इत्यादि खुले हुए थे आैर सड़कों पर गाड़ियां भी रोज की तरह चल रही थीं. सरकारी दफ्तरों में भी हड़ताल का कोई असर नजर नहीं आया. राज्य सरकार के सचिवालय नवान्न व राइटर्स बिल्डिंग में रोजाना की तरह ही कामकाज हुआ. सभी सरकारी कर्मचारी अपने-अपने दफ्तर में उपस्थित थे. नवान्न व राइटर्स बिल्डिंग में कामकाज की रफ्तार को देख कर पता ही नहीं चल रहा था कि किसी राजनीतिक दल ने बंगाल बंद का आह्वान किया है. अपने कामकाज के लिए आम लोग रोजाना की तरह यहां पहुंचे थे. गौरतलब है कि हड़ताल को असफल बनाने के लिए राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए 28 व 29 नवंबर को काम पर आना अनिवार्य घोषित कर दिया है.
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