नोटबंदी के बाद परेशान हैं बीमार लोग
मेयर ने की थी मांग, 24 तक चलेंगे पुराने नोट
कोलकाता : नोटबंदी के बाद सबसे अधिक परेशानी बीमार लोग हैं. रुपयों के लिए बीमार लोगों के परिजन दर-दर भटक रहे हैं. सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए जगह नहीं मिल रही है और प्राइवेट अस्पतालों ने पुराने 500 व 1000 के नोटों को लेना बंद कर दिया है.
मरीजों की परेशानी को देखते हुए विधान नगर निगम के मेयर सव्यसाची दत्त ने केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. साथ ही सरकार से मांग की है कि सरकारी के साथ प्राइवेट अस्पतालों में 500 और 1000 के पुराने नोट चलने चाहिए. उन्होंने कहा है कि बैंकों में लाेगों को जरूरत के अनुसार मरीजों के परिजनों को रुपये नहीं मिल पा रहे हैं. ऐसे में प्राइवेट अस्पतालों में पुराने नोट चलाये जायें या वहां अस्थायी बैंक काउंटर खोले जायें.
जिस मरीज को जितनी जरूरत हो, उसे उतने रुपये दिये जायें. इस बीच सोमवार को कई नामी प्राइवेट अस्पतालों में पुराने नोट स्वीकार किये गये. इसके लिए मेयर सव्यसाची दत्त ने प्राइवेट अस्पताल संचालकों को बधाई दी है. वीआइपी रोड स्थित एक हाॅस्पिटल संचालक ने बताया कि रुपयों को लेकर बीमार लोग बहुत परेशान हैं. बीमार मरीजों का हाल देखते हुए 24 नवंबर तक पुराने नोटों का लेन-देन शुरू किया है. जिस मरीज से पुराने नोट लिये जा रहे हैं, उनसे लिखित पत्र लिया जा रहा है.
सभी को देना होगा सफाई पर ध्यान : सव्यसाची
विधाननगर नगर निगम इलाके में बीमारियों पर नियंत्रण के लिए प्रशासनिक अधिकारी गंभीर हैं. मेयर सव्यसाची दत्त के आदेश पर हर वार्ड में सफाई अभियान चलाने के साथ कीटनाशक का फिर छिड़काव किया जा रहा है. जिन इलाकों में गंदगी व जलजमाव की समस्या है, वहां कर्मचारी लगातार काम कर परेशानी को दूर करने में लगे हुए हैं. मेयर सव्यसाची दत्त ने सफाई कर्मचारियों को निर्देश दिया है कि वे अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटे.
किसी भी वार्ड में गंदगी नहीं मिलनी चाहिए. मेयर के निर्देश के बाद सॉल्टलेक, उल्टाडांगा, बांगुड़, केष्टोपुर, कॉलेज मोड़, बागुईहाटी, जोड़ा मंदिर, जगतपुर आदि दर्जनों इलाकों में सफाई अभियान तेज हो चुका है. मेयर ने लोगों से अपील की है कि वे गंदगी नहीं फैलायें.