कोलकाता पुलिस आयुक्त व कोलकाता विकास प्राधिकरण (केआइटी) के अधिकारी फैसले पर अमल की निगरानी रखकर हरित न्यायाधिकरण को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे. न्यायाधिकरण ने कहा है कि यहां (रवींद्र सरोवर) छठ पर्व मनाने वाले लोग वैकल्पिक रूप से आदि गंगा घाट पर पर्व मना सकते हैं. ट्रिब्यूनल ने इस फैसले के साथ एक और आदेश दिया है. इसके तहत जलाशयों के तट से तीन फीट पहले बांस-बल्ली का घेरा लगा देना होगा. इस घेरे के दायरे में ही छठ पूजा करनी होगी. आदेश में यह साफ नहीं है कि छठव्रती पानी में प्रवेश कर सकेंगे या नहीं. गौरतलब है कि छठव्रती पानी में प्रवेश कर ही सूर्य भगवान को अर्घ्य देते हैं. न्यायाधिकरण के इस फैसले से छठ पर्व मनाने वाले लोग मायूस हैं. विभिन्न संगठनों ने उच्च अदालत में जाने का फैसला लिया है.
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ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रवींद्र सरोवर में छठ पूजा पर लगायी पाबंदी
कोलकाता. लेक इलाके के रवींद्र सरोवर झील में छठ पूजा के आयोजन पर रोक लगा दी गयी है. मंगलवार को एक याचिका की सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के पूर्वी क्षेत्र की पीठ ने यह फैसला सुनाया. जस्टिस एसपी वांगदी व विशेषज्ञ सदस्य पीसी मिश्रा की पीठ ने अपने फैसले में […]
कोलकाता. लेक इलाके के रवींद्र सरोवर झील में छठ पूजा के आयोजन पर रोक लगा दी गयी है. मंगलवार को एक याचिका की सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के पूर्वी क्षेत्र की पीठ ने यह फैसला सुनाया. जस्टिस एसपी वांगदी व विशेषज्ञ सदस्य पीसी मिश्रा की पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि इस वर्ष रवींद्र सरोवर में किसी भी तरह से छठ पूजा का आयोजन नहीं होगा.
फैसले में कहा गया है कि रवींद्र सरोवर की सफाई व इसके महत्व को नेशनल लेक कंजर्वेशन स्कीम के तहत सुरक्षित रखना अनिवार्य है. लेकिन छठ पूजा के कई दिनों बाद भी पूजन सामग्री पड़े रहने के कारण बायोडाइवर्सिटी नष्ट होने का खतरा बना रहता है. इस झील की गरिमा को बचाने के कारण यह निर्देश दिया गया है.
क्या कहती है पुलिस: इस मामले में कोलकाता के संयुक्त पुलिस आयुक्त (मुख्यालय) व अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (3) सुप्रतीम सरकार ने बताया कि इस तरह के किसी भी आदेश की लिखित प्रति उन्हें नहीं मिली है. आदेश की प्रति मिलने के बाद इस पर विचार किया जायेगा.
क्या है मामला: पिछले साल पर्यावरण कार्यकर्ता सुभाष दत्त ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में जनहित याचिका दायर की थी. न्यायाधिकरण में कुछ तस्वीरें जमा कर कहा गया था कि छठ पूजा के बाद फूल-पत्ती व पूजन सामग्री काफी दिनों तक लेक इलाके के रवींद्र सरोवर के आसपास बिखरी पड़ी रहती है. इसके कारण झील के आसपास के पर्यावरण को नुकसान पहुंचने का खतरा बना रहता है. इस याचिका पर ग्रीन ट्रिब्यूनल में सुनवाई शुरू हुई थी. सरकारी अधिवक्ता विकास कर गुप्त व याची सुभाष दत्त ने अपना पक्ष रखा था. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की पीठ ने मंगलवार को फैसला सुनाया.
फैसले के मायने
रवींद्र सरोवर में इस साल छठ पूजा का आयोजन नहीं होगा. न्यायाधिकरण के निर्देश में कहा गया है कि रवींद्र सरोवर की जगह छठ पूजा किसी वैकल्पिक आदि गंगा घाट पर की जा सकती है. लेकिन पानी की सीमा से तीन फीट पहले बांस-बल्ली का घेरा लगाना होगा. छठव्रती इसके दायरे में ही पूजा कर सकेंगे. पुलिस व प्रशासन को भी इस आदेश को लेकर तत्पर होने कि लिए कहा गया है. अभी रवींद्र सरोवर के लिए यह निर्देश दिया गया है. बाद में महानगर समेत राज्य के सभी गंगा घाटों व जलाशयों में पूजा करने के दौरान इस निर्देश का पालन करना होगा.
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