कोलकाता : न्यू गरिया- एयरपोर्ट के बीच बन रहे मेट्रो रूट को बदलने की मांग करते हुए सॉल्टलेक के निवासियों ने हाइकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है, जिसकी वजह से इस मेट्रो रूट के बीच ईएम बाइपास-चिंगड़ीघाटा प्वाइंट पर परियोजना का कार्य प्रभावित हुआ है. गौरतलब है कि न्यू गरिया से एयरपोर्ट तक 32 […]
कोलकाता : न्यू गरिया- एयरपोर्ट के बीच बन रहे मेट्रो रूट को बदलने की मांग करते हुए सॉल्टलेक के निवासियों ने हाइकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है, जिसकी वजह से इस मेट्रो रूट के बीच ईएम बाइपास-चिंगड़ीघाटा प्वाइंट पर परियोजना का कार्य प्रभावित हुआ है.
गौरतलब है कि न्यू गरिया से एयरपोर्ट तक 32 किमी लंबी मेट्रो परियोजना काम एक बार फिर रुक गया है, हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले भी इस परियोजना का काम कई बार रुका है, जिसकी वजह से परियोजना वर्ष 2015-16 की समय सीमा पहले ही खत्म हो चुकी है. अब सॉल्टलेक निवासियों द्वारा मामला किये जाने के बाद फिर से इस योजना का काम रूक गया है.
गौरतलब है कि मेट्रो रूट पर बनाये जानेवाला एक पिलर (पिलर नंबर 322), वहां स्थित जलवायु विहार के ठीक प्रवेश स्थल के सामने पड़ेगा, जो कि सॉल्टलेक सेक्टर-3 के एलबी ब्लॉक में स्थित है. यह पिलर बनने से निक्को पार्क व वीआइपी बाजार के बीच कैनल पर बने पुल को भी तोड़ना होगा और साथ ही जलवायु विहार का प्रवेश मार्ग भी ब्लॉक हो जायेगा. यहां निर्माण कार्य होने से कैनल के समानांतर बने रोड पर यातायात व्यवस्था ठप हो जायेगा. यहां पर सेना, वायु सेना व नौ सेना के अधिकारियों के रहने के लिए 282 फ्लैट हैं, जहां एक हजार से भी अधिक लोग रहते हैं.
इस संबंध में हाउसिंग सोसाइटी के सचिव लेफ्टिनेंट करनल एके दास ने बताया कि जब हमने पूरे मामले की जांच की तो हमें पता चला है कि हमारे घर मेट्रो लिंक के बीच में पड़ेंगे. भारतीय संविधान के अनुसार, कोई भी सरकारी संस्थान ऐसा किसी प्रकार के स्ट्रक्चर का निर्माण नहीं कर सकता है, जिससे सार्वजनिक रास्ता या प्रवेश मार्ग बंद हो जाये. इस संबंध में कोर्ट ने कई आदेश दिये हैं. यहां के निवासियों को डर है कि अगर यहां कभी आग लगती है तो दमकल के इंजन यहां पहुंच नहीं पायेंगे.
इस संबंध में कमांडर (सेवानिवृत) एके राय ने बताया कि इस परियोजना का डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाते समय संबंधित अथॉरिटी को प्रोजेक्ट से प्रभावित होनेवाले लोगों से भी विचार-विमर्श करना चाहिए था. सोसाइटी की ओर से कलकत्ता हाइकोर्ट में वर्ष 2015 में याचिका दायर की गयी थी, हालांकि सोसाइटी को परियोजना को क्रियान्वित करनेवाली संस्था रेल विकास निगम लिमिटेड से हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन सोसाइटी ने एक बार फिर से पुनर्विचार याचिका दायर की है. हालांकि इस संबंध में रेल विकास निगम लिमिटेड के अधिकारी ने कहा कि परियोजना के पिलर का स्थान में परिवर्तन करना संभव नहीं है, क्योंकि इससे कई घरों को तोड़ना होगा.