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छात्रों को गोरा-काला कहकर चिढ़ाना भी अब रैगिंग के दायरे में

यूजीसी ने रैगिंग अपराध निषेध विनियम 2016 में संशोधन किया कोलकाता : कॉलेजों व संस्थानों में अब विद्यार्थियों को गोरा-काला कह कर चिढ़ाना या फिर जाति, स्थानीयता को लेकर प्रताड़ित करना भी रैंगिंग के दायरे में आ गया है. यूजीसी ने रैगिंग अपराध निषेध विनियम 2016 में तीसरा संशोधन किया है. इसके तहत अब किसी […]

यूजीसी ने रैगिंग अपराध निषेध विनियम 2016 में संशोधन किया
कोलकाता : कॉलेजों व संस्थानों में अब विद्यार्थियों को गोरा-काला कह कर चिढ़ाना या फिर जाति, स्थानीयता को लेकर प्रताड़ित करना भी रैंगिंग के दायरे में आ गया है. यूजीसी ने रैगिंग अपराध निषेध विनियम 2016 में तीसरा संशोधन किया है. इसके तहत अब किसी भी विद्यार्थी को उसके रंग, प्रजाति, धर्म, जाति, जातिमूल, लिंग, लैंगिग प्रवृति, वाह्य स्वरूप, राष्ट्रीयता, क्षेत्रीय मूल, भाषा, जन्म, निवास स्थान या आर्थिक पृष्ठभूमि के आधार पर शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना (दबंगई व बहिष्करण) को रैगिंग के दायरे में लाया गया है. आयोग के सचिव प्रो जसपाल एस संधु ने इसका कड़ाई से पालन करने का निर्देश विवि के कुलपतियों, कॉलेजों के प्राचार्यों, स्नातकोत्तर विभागों के अध्यक्षों व संस्थान के निदेशकों को दिया है.
विवि/कॉलेजों व संस्थानों में इससे पूर्व जारी निर्देश के आलोक में नामांकन के समय ही विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों को रैगिंग नहीं करने या फिर इसमें शामिल नहीं रहने का अलग-अलग शपथ पत्र भी जमा करना अनिवार्य किया गया है. नामांकन के समय अब कॉलेजों के प्रोस्पेक्टस में रैगिंग लॉ समेत रैगिंग करने की शिकायत मिलने पर निर्धांरित दंड का उल्लेख करना अनिवार्य है. कॉलेज लॉ व दंड का उल्लेख अंगरेजी/हिंदी व क्षेत्रीय भाषा में करना जरूरी है.
क्या है दंड
यूजीसी द्वारा जारी निर्देश के अनुसार किसी कॉलेज/संस्थान में रैगिंग का मामला सामने आने पर रैगिंग करनेवाले विद्यार्थियों को कॉलेज/संस्थान से निष्कासित कर दिया जायेगा. साथ ही 25 हजार रुपये फाइन व उनके विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज करायी जायेगी. रैगिंग नहीं रोक पाने या रैगिंग करनेवाले विद्यार्थियों को दंडित नहीं करनेवाले कॉलेज/संस्थान का अनुदान रोकने के साथ-साथ मान्यता तक रद्द कर दी जायेगी.
छात्रावास में रहनेवाले विद्यार्थियों व उनके अभिभावक को एक अतिरिक्त शपथ पत्र देना होगा. कॉलेजों/संस्थानों में एंटी रैगिंग कमेटी समेत मॉनिटरिंग सेल का गठन भी करना होगा. समय-समय पर विद्यार्थियों के लिए मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग भी अनिवार्य किया गया है. इसमें शिक्षकों, कर्मचारियों व अभिभावकों को भी शामिल करने के लिए कहा गया है.
एंटी रैगिंग कमेटी व मॉनिटरिंग सेल तथा रैगिंग की स्थिति पर प्रत्येक नये शैक्षणिक सत्र में तीन माह तक प्रत्येक सप्ताह कुलपति को रिपोर्ट देना आवश्यक होगा. कुलपति 15-15 दिन पर अपनी रिपोर्ट कुलाधिपति को सौंपेंगे. नये छात्रों को नामांकन के समय एक फॉर्म देना होगा. इसमें इस बात का उल्लेख करना होगा कि उन्हें किसी छात्र द्वारा परेशान किये जाने पर मदद के लिए किससे संपर्क करना होगा. क्लास रूम, सेमिनार हॉल व लाइब्रेरी में मोबाइल फोन लाने पर पाबंदी रहेगी.
हालांकि कैंपस व छात्रावास में इसके रखने पर कोई पाबंदी नहीं रहेगी. फ्रेशर्स के स्वागत के लिए वरीय विद्यार्थियों द्वारा कॉलेज/संस्थान में विभागवार स्वागत समारोह करने की सलाह दी गयी है. रैगिंग नहीं होने के प्रमाण पर यूजीसी द्वारा संबंधित संस्थान को अवाॅर्ड व अलग से अनुदान दिया जायेगा.

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