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विधानसभा: जल्द बुलायें त्रिपक्षीय बैठक

कोलकाता: विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान ने राज्य में जूट मिलों की स्थिति पर मुख्यंमत्री से त्रिपक्षीय बैठक बुलाने की मांग की. श्री मन्नान ने मंगलवार को विधानसभा के उल्लेख काल में राज्य की जूट मिलों की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि राज्य में 59 जूट मिलें हैं. उनमें से पांच […]

कोलकाता: विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान ने राज्य में जूट मिलों की स्थिति पर मुख्यंमत्री से त्रिपक्षीय बैठक बुलाने की मांग की. श्री मन्नान ने मंगलवार को विधानसभा के उल्लेख काल में राज्य की जूट मिलों की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि राज्य में 59 जूट मिलें हैं. उनमें से पांच एनजेएमसी की जूट मिलें हैं. सभी मिलाकर राज्य में 15 जूट मिलें बंद हैं. राज्य में जूट मिलों व उनके श्रमिकों की स्थिति काफी खराब है.
जूट मिलों का आधुनिकीकरण नहीं हुआ है. पहले जूट मिलों में ढाई लाख श्रमिक थे, लेकिन अब उनकी संख्या घट कर 1.25 लाख हो गयी है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सेलेब्रेटी के साथ बैठक की हैं, लेकिन जूट मिलों के श्रमिकों की समस्या के समाधान के लिए पांच वर्षों में एक बार भी त्रिपक्षीय बैठक नहीं की गयी है. बांग्लादेश में जूट उद्योग को लेकर लोग गर्व महसूस करते हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल की जूट मिलों की स्थिति जर्जर है. उन्होंने मुख्यमंत्री से जूट मिल मालिकों, जूट श्रमिक यूनियनों व मंत्रियों को लेकर त्रिपक्षीय बैठक शीघ्र बुलाने की मांग की, ताकि उनकी समस्याओं का समाधान किया जा सके.
इज्मा ने बंगाल सरकार से जूट नीति बनाने को कहा
जूट उद्योग ने पश्चिम बंगाल सरकार से राज्य के लिए एक जूट नीति बनाने को कहा है. इसमें राज्य के लिए विभिन्न कृषि उत्पादों के लिए जूट पैकेजिंग का कानून बनाने की भी बात की गयी है, ताकि जूट क्षेत्र की स्थिरता को कायम रखा जा सके. भारतीय जूट मिल संघ (इज्मा) के अधिकारी ने कहा : संघ ने हाल ही में राज्य के श्रम मंत्री मलय घटक से मुलाकात कर उन्हें क्षेत्र की नयी समस्याओं से अवगत कराया है. इसके अलावा उनसे तत्काल कुछ कदम उठाने का आग्रह किया है. हमने उनसे कहा कि राज्य सरकार आलू और चावल की 100 प्रतिशत पैकेजिंग जूट के बोरों में करने का आदेश जारी करे.

उन्होंने बताया : हमने उन्हें यह बताने की कोशिश की है कि राज्य के लिए विभिन्न कृषि उत्पादों के लिए जूट पैकेजिंग कानून और जूट नीति को बनाये जाने की तत्काल जरूरत है, क्योंकि केंद्र सरकार जूट क्षेत्र की समस्याओं के प्रति उदासीन बनी हुई है. केंद्र सरकार ने एक अनिवार्य जूट पैकेजिंग कानून-1987 बनाया हुआ है, लेकिन कई आदेशों से यह कमजोर हुआ है. केंद्र सरकार ने पूर्व में यह बात कही थी कि जूट मिलें सरकार की मांग को पूरा करने अक्षम हैं और वहां भ्रष्टाचार है. इज्मा ने घटक को दिये ज्ञापन में कहा है कि केंद्र सरकार के हालिया आदेश में जूट की खरीद को कम किये जाने से इसकी खेती में लगे लाखों लोगों के सामने रोजगार की समस्या खड़ी हो जायेगी. उन्होंने कहा कि इस साल जूट का बंपर उत्पादन होने की संभावना है.

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