आरोप है कि राशन डीलर ऐसे लोगों के लिए मंजूर चावल-चीनी व आटा इत्यादि की कालाबाजारी करते हैं. इसे रोकने के लिए खाद्य विभाग सख्त निगरानी रखने जा रहा है. डिजिटल राशन कार्ड बनाते समय खाद्य विभाग को कई प्रकार की जटिलताआें का सामना करना पड़ा था.
अभी भी लगभग 33 लाख डिजिटल राशन कार्ड में हुई भूल को ठीक करने का काम चल रहा है. सभी उपभोक्ताआें तक डिजिटल राशन कार्ड पहुंचा देने के बाद ही नयी व्यवस्था चालू की जायेगी. पिछले छह महीने में खाद्यसाथी परियोजना में राज्य सरकार ने 6282 करोड़ रुपया खर्च किया है. सरकार का मानना है कि जिनके लिए राशन जरूरी नहीं है. वैसे उपभोक्ताआें का नाम तालिका से निकाल देने पर खर्च में भी काफी कमी आयेगी. इस संबंध में खाद्य मंत्रालय ने सभी जिला अधिकारियों से एक महीने के अंदर रिपोर्ट तलब किया है. इसके साथ ही केवल उत्पादन ही नहीं, सरकार अब अनाज के संरक्षण पर भी विशेष ध्यान देगी. मुख्यमंत्री ने इस बीच सभी जिलों में धान संरक्षण केंद्र तैयार करने का एलान भी कर दिया है.