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पांच साल में बदल दी पश्चिम बंगाल की तसवीर
अजय विद्यार्थी कोलकाता : तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में 2011 में 34 वर्षों के वाममोरचा सरकार के लाल दुर्ग को ध्वस्त कर मां, माटी, मानुष की सरकार की नींव रखी. वाममोरचा सरकार से कर्ज में डूबे बंगाल की विरासत मिलने के बावजूद सुश्री बनर्जी ने अपने सुशासन और प्रशासनिक दक्षता से पांच […]
अजय विद्यार्थी
कोलकाता : तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में 2011 में 34 वर्षों के वाममोरचा सरकार के लाल दुर्ग को ध्वस्त कर मां, माटी, मानुष की सरकार की नींव रखी. वाममोरचा सरकार से कर्ज में डूबे बंगाल की विरासत मिलने के बावजूद सुश्री बनर्जी ने अपने सुशासन और प्रशासनिक दक्षता से पांच वर्षों में बंगाल को बदल डाला. सुश्री बनर्जी ने पिछले पांच वर्षों के शासनकाल में राज्य की जनता के कल्याण के लिए कई ऐसी परियोजनाएं शुरू की, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय मान्यता ही नहीं मिली, वरन दूसरे राज्यों ने भी उन परियोजनाओं का अनुसरण किया. ये परियोजनाएं राज्य के कुल 9.5 करोड़ लोगों में से 8.5 करोड़ लोगों तक पहुंची. विकास कार्य के बदौलत ही सुश्री बनर्जी फिर से पश्चिम बंगाल विधानसभा में और भी शक्तिशाली होकर पहुंची हैं.
प्रमुख परियोजनाएं
खाद्य साथी : खाद्य साथी परियोजना के तहत राज्य के आठ करोड़ से अधिक लोगों को दो रुपये प्रति किलोग्राम की दर से चावल उपलब्ध किया जा रहा है. सिंगुर के किसानों, बंद कल कारखानों के श्रमिकों को भी दो रुपये प्रति किलो की दर से चावल उपलब्ध कराया जा रहा है. इसके साथ ही भत्ता भी दिया जा रहा है. इसके साथ ही लगभग 50 लाख लोग इसकी आधी कीमत पर चावल पा रहे हैं.
कन्याश्री : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने छात्राओं के पढ़ाई बीच में छोड़ने पर रोकथाम व बाल विवाह आदि रोकने के लिए कन्याश्री परियोजना शुरू की. इस परियोजना को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली. कन्याश्री परियोजना के अधीन लगभग 33 लाख बालिकाओं का पंजीकरण किया गया है. इसके तहत छात्राओं को मदद दी जाती है. यह परियोजना 1 अक्तूबर, 2013 को शुरू हुई थी. राज्य सरकार के साथ यूनीसेफ इस परियोजना के क्रियान्वयन की सहायक संस्था बन गयी है. डिपार्टमेंट फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (डीएफआइडी), यूनाइटेड किंगडम और यूनीसेफ ने लंदन में 2014 के गर्ल सम्मिट में इस परियोजना को पेश किया था.
सबुज साथी : सुदूर गांवों के बच्चे भी स्कूल पहुंच सकें. इसके मद्देनजर सुश्री बनर्जी ने सबुज साथी परियोजना शुरू की. इस परियोजना के तहत बच्चों के बीच साइकिल वितरण की गयी. ममता ने बच्चों के बीच 40 लाख साइकिल वितरित करने का लक्ष्य रखा है. इनमें 25 लाख छात्रों को साइकिल वितरित की जा चुकी है.
शिक्षाश्री : अनुसूचित जाति और जनजाति के पांचवीं से आठवीं कक्षा के छात्रों को राज्य सरकार द्वारा शिक्षाश्री परियोजनाओं के तहत छात्रवृत्ति दी जा रही है. अनुसूचित जाति के 13.4 लाख छात्रों व अनुसूचित जनजाति के 2.4 लाख छात्रों को सरकार ने छात्रवृत्ति दी है तथा लगभग 9.5 लाख छात्रों को भविष्य में सुविधाएं दी जायेंगी.
युवाश्री : युवाश्री परियोजना के तहत एक लाख युवाओं को भत्ता दिया जा रहा है. यह भत्ता बेरोजगार युवकों को दिया जा रहा है.
रोजगार सृजन : ममता के पांच वर्षों के शासनकाल में लगभग 68 लाख लोगों को रोजगार मुहैया कराये गये और 98 करोड़ मानव दिवस श्रम का सृजन किया गया.
अल्पसंख्यक समुदाय को ऋण व छात्रवृत्ति : ममता सरकार के पांच वर्षों के शासनकाल के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय के लगभग एक करोड़ छात्रों को लगभग 1,921 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति दी गयी है. अल्पसंख्यक समुदाय के चार लाख से अधिक युवाओं को 700 करोड़ रुपये के ऋण दिये गये हैं, जो पूरे देश में रिकार्ड है.
लोक प्रसार प्रकल्प : लोक कलाकारों को उत्साहित करने के लिए यह परियोजना शुरू की है. इसके तहत 60 हजार कलाकारों को पंजीकरण किया गया है तथा उससे वे लाभान्वित हुए हैं.
फेयर प्राइस दवा की दुकानें : 109 फेयर प्राइस दवा की दुकानें शुरू की हैं. इनमें दवाओं की कीमत पर 40 से 70 फीसदी छूट दी जायेगी. यह राज्य की मॉडल परियोजनाएं हैं. इसके साथ ही 79 फेयर प्राइस डॉग्नोस्टिक सेंटर भी खोले गये हैं. इनमें विभिन्न टेस्ट पर 50 फीसदी छूट दी जाती है.
मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल : 41 मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटलों से से 21 काम करने लगे हैं तथा बाकी शीघ्र ही पूरे हो जायेंगे. इनमें गरीबों को नि:शुल्क चिकित्सा का भी प्रावधान है.
100 दिन कार्य योजना : पांच वर्षों के शासन काल में 100 दिन कार्य योजना के तहत 17,589 करोड़ रुपये खर्च किये गये तथा 8,451 मानव दिवस का सृजन किया गया.
एमएसएमसी को ऋण : लघु-कुटीर व मध्यम श्रेणी के उद्योगों को बैंकों की ओर से लगभग 91,572 करोड़ रुपये के ऋण बैंकों के माध्यम से उपलब्ध कराये गये हैं.
कृषि : कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए लगातार चार बार बंगाल को कृषि सम्मान पुरस्कार प्रदान किया गया. 2011 में किसानों की आय प्रति वर्ष 93000 रुपये से 2016 में बढ़ कर 1.63 लाख हो गयी.
मिशन निर्मल बांग्ला : ममता सरकार ने 26 लाख टॉयलेट का निर्माण करवाया था. वित्तीय वर्ष 2014-15 के दौरान 8.5 लाख टॉयलेट बनाये गये. शौचालय निर्माण में बंगाल का स्थान देश में शीर्ष पर है. नदिया जिले में ‘सबर शौचागार’ को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दी गयी तथा एशिया-प्रशांत क्षेत्र में यूनाइटेड नेशंस पब्लिक सर्विस पुरस्कार, 2015 भी जीतने में सफल रहा. लाफबोरो विश्वविद्यालय, यूके ने भी इस परियोजना का चयन किया था.
स्वास्थ्य बीमा : विश्व बैंक और जर्मन संस्था, ग्लोबल एलायंसेस फॉर सोशल प्रोटेक्शन ने बंगाल के राष्ट्रीय बीमा योजना की सराहना की है. इसके तहत 30 हजार रुपये आयवाले परिवार को नि:शुल्क चिकित्सा 1,043 अस्पतालों में उपलब्ध करायी जाती है.
कर संग्रह हुअा दोगुना : पिछले पांच वर्षों में राज्य का कर संग्रह की दर दोगुना हो गयी है. इसके साथ ही कैपिटल एक्सपेंडिचर भी छह गुणा बढ़ा है. कृषि व ग्रामीण विकास में खर्च में साढ़े पांच गुणा वृद्धि हुई है. मूलभूत सुविधाओं में तीन गुणा, योजना खर्च में तीन गुणा से अधिक व सामाजिक मूलभूत खर्च में तीन गुणा वृद्धि हुई है.
आंकड़ों में बंगाल का विकास : तुलनात्मक अध्ययन
बंगाल (प्रतिशत) भारत (प्रतिशत)
ग्रॉस वैल्यू एडेड ग्रोथ 12.02 7.3
प्रति कैपिटा इनकम 12.84 6.1
उद्योगों में विकास 10.59 7.3
कृषि, वन व मत्स्य क्षेत्र में विकास 5.55 1.1
सेवा क्षेत्र 13.99 9.2
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