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क्षतिपूर्ति मिलेगी तो छोड़ देंगे सिंगूर की जमीन : टाटा

कोलकाता/नयीदिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में आज भी सिंगूर में टाटा के नैनो कारखाना को लेकर चल रहे मामले में कोई फैसला नहीं आया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान टाटा कंपनी के पक्ष के वकील ने कहा कि अगर उपयुक्त क्षतिपूर्ति मिलेगी तो वह सिंगूर की जमीन छोड़ देंगे. उनके इस बयान के […]

कोलकाता/नयीदिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में आज भी सिंगूर में टाटा के नैनो कारखाना को लेकर चल रहे मामले में कोई फैसला नहीं आया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान टाटा कंपनी के पक्ष के वकील ने कहा कि अगर उपयुक्त क्षतिपूर्ति मिलेगी तो वह सिंगूर की जमीन छोड़ देंगे. उनके इस बयान के बाद सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने सवाल किया कि अगर जमीन अधिग्रहण अवैध प्रमाणित होता है तो क्यों क्षतिपूर्ति दी जायेगी.

इस मामले की सुनवाई गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में जारी रहेगी. गौरतलब है कि मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान टाटा कंपनी पक्ष के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि टाटा कंपनी को सिंगूर से साजिश रच कर और जबरन हटाया गया था. कंपनी वहां से अपना कारखाना हटाने के लिए बाध्य हुई थी. हालांकि, सिंगूर के अनिच्छुक किसानों ने आरोप लगाया कि टाटा कंपनी ने कारखाने की जमीन को परित्यक्त अवस्था छोड़ रखा है.

वहीं, बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन वाममोरचा सरकार की कार्य प्रणाली पर भी सवाल उठाया. न्यायाधीश ने कहा कि कारखाना के लिए क्यों बहु फसली जमीन का प्रयोग किया गया. औद्योगिकीकरण के साथ-साथ तो कृषि भी जरूरी है और कृषकों के हितों की भी रक्षा करनी होगी. इस बात को क्यों नहीं ध्यान में रखा गया. इसके साथ ही टाटा का नैनो कारखाना 600 एकड़ जमीन पर लगने वाला था तो इसके लिए 1000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण क्यों किया गया.

न्यायाधीश ने कहा कि राज्य को छोड़ कर चले जाने के बाद टाटा कंपनी ने क्यों इतने दिनों तक जमीन को परित्यक्त अवस्था में रखा. अनिच्छुक किसानों की ओर से पैरवी करते हुए वकील कल्याण बनर्जी ने कहा कि लोगों के हितों की उपेक्षा करते हुए टाटा मोटर्स ने अतिरिक्त जमीन का अधिग्रहण किया था, हालांकि टाटा कंपनी पक्ष के वकील ने इसे मानने से इनकार कर दिया. 2011 में सत्ता में आने के बाद तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने सिंगूर की जमीन को टाटा कंपनी के कब्जे से छुड़ाने के लिए एक विधेयक पारित किया और इसके बाद उस पर कब्जा कर लिया. राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ टाटा कंपनी ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की, हाइकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा बनाये गये विधेयक को असंवैधानिक करार देते हुए खारिज कर दिया. हाइकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश वी गोपालगौड़ व अरुण कुमार मिश्रा डिवीजन बेंच पर मामले की सुनवाई चल रही है.

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