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दक्षिण हावड़ा क्षेत्र : पिछली बार की तरह आसान नहीं दिख रही सत्तापक्ष की राह जे कुंदन हावड़ा : दक्षिण हावड़ा की सीट शायद इसलिए तृणमूल कांग्रेस के लिए अहम है, क्योंकि इस विधानसभा क्षेत्र में राज्य सचिवालय नवान्न भवन भी स्थित है. तृणमूल कांग्रेस के लिए कई बातें चिंता का विषय है. इनमें तृणमूल […]

दक्षिण हावड़ा क्षेत्र : पिछली बार की तरह आसान नहीं दिख रही सत्तापक्ष की राह
जे कुंदन
हावड़ा : दक्षिण हावड़ा की सीट शायद इसलिए तृणमूल कांग्रेस के लिए अहम है, क्योंकि इस विधानसभा क्षेत्र में राज्य सचिवालय नवान्न भवन भी स्थित है. तृणमूल कांग्रेस के लिए कई बातें चिंता का विषय है. इनमें तृणमूल कांग्रेस की आपसी गुटबाजी, तृणमूल पार्षद विनय सिंह के भाई भीम सिंह व तृणमूल नेता नदीम अख्तर की हत्या, विधायक ब्रज मोहन का जनता के साथ तालमेल नहीं रखना व एेतिहासिक शालीमार पेंट्स का बंद होना है, जिससे सैकड़ों श्रमिक बेरोजगार हो गये.
आपसी गुटबाजी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां से टिकट पाने के लिए तृणमूल कांग्रेस के 11 नेताओं ने तृणमूल भवन में अर्जी जमा की थी, लेकिन टिकट ब्रज मोहन को ही मिला. हालांकि टिकट घोषणा के तुरंत बाद ब्रज मोहन के विरोध में दानेश शेख लेन पर तृणमूल कार्यकर्ताओं ने पथावरोध कर दिया. नाराजगी के कारण दूसरे दिन मौरीग्राम स्थित इंडियन ऑयल डिपो में 12 घंटे तक लोडिंग व अनलोडिंग पूरी तरह ठप रहा. नाजिरगंज-मटियाबुर्ज फेरी सेवा भी चार घंटों के लिए बंद रही. ये प्रदर्शन स्थानीय तृणमूल नेता मसूद आलम खान को टिकट देने की मांग में किये जा रहे थे. आखिरकार, मसूद आलम के निर्देश पर समर्थकों का प्रदर्शन खत्म हुआ.
बताया जाता है कि विधायक ब्रज मोहन पांच वर्षों तक विधायक रहे, लेकिन उनका कोई पार्टी ऑफिस नहीं है.जरूरतमंद लोगों को उनसे मिलने के लिए उनके घर आना पड़ता है. घर मध्य हावड़ा विधानसभा क्षेत्र के घोषपाड़ा में है. जनता उनके घर पहुंचती है, लेकिन आरोप है कि लोगों को उनके दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ता है. इसके अलावा ब्रज मोहन की आयु लगभग 78 वर्ष है. उम्र अधिक होने से वह पूरी तरह फिट भी नहीं है, लेकिन ब्रज मोहन की छवि बेहद साफ है. शायद यही कारण है कि उन्हें दोबारा टिकट दिया गया. हालांकि पिछले दिनों हुई कुछ चुनावी सभा में पहुंचे तृणमूल कांग्रेस के बड़े नेताओं को भी यह आभास हो चुका है कि इस सीट पर लड़ाई आसान नहीं होनेवाली है. यही वजह है कि तृणमूल नेता मसूद आलम खान उर्फ गुड्डु को कालीघाट से सख्त आदेश दिया गया है कि वह ब्रज मोहन को जिताने में अपनी पूरी ताकत झोंक दें. यह सीट तृणमूल कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया है.
इस सीट से वाममोरचा से अरिंदम बोस मैदान में हैं. अरिंदम के पिता दिवंगत बादल बोस दक्षिण हावड़ा सीट से विधायक थे, इसलिए पुराने माकपा समर्थकों का समर्थन उन्हें मिल सकता है. गंठबंधन के कारण कांग्रेस कार्यकर्ता भी जोश में हैं. राजनैतिक विशेषज्ञों की मानें तो निश्चित रूप से यहां लड़ाई कांटे की होगी. पूर्व विधायक बादल बोसकी छवि यहां अगर काम कर गयी, तो परिणाम चौंकानेवाला हो सकता है. अरिंदम बोस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.
भाजपा से सहाना गुहा राय मैदान में हैं. वह गृह शिक्षक है. उन्हें उम्मीद है कि इस बार यहां की जनता भाजपा प्रत्याशी को विजयी बनायेगी.
मेरी लड़ाई तृणमूल की नीतियों से है. पांच वर्षों तक क्या विकास हुआ, जनता सब देख चुकी है. शालीमार पेंट्स कारखाना बंद हो गया. सैकड़ों श्रमिक बेरोजगार हो गये. तृममूल की गुंडागर्दी किसी से छुपी नहीं है. सत्ता में आने के बाद जो वायदे किये गये थे, उसे निभाया नहीं गया.
अरिंदम बोस, माकपा प्रत्याशी
अगर मैंने विकास के लिए काम किया हो, तो मुझे जरूर वोट देना. आपके मतदान से एक शिक्षक विजयी होगा. इस देश को शिक्षक की जरूरत है. यदि आप सभी को लग रहा है कि मैंने काम नहीं किया, तो मुझे वोट मत देना.
ब्रज मोहन मजूमदार, तृणमूल प्रत्याशी
तृणमूल के राज में धोखाधड़ी के अलावा दूसरा कुछ भी नहीं हुआ है. यहां माफिया राज है. मैं व्यक्तिगत तौर पर ब्रज मोहन सर का बहुत सम्मान करती हूं. वो एक शिक्षक हैं लेकिन तृणमूल कांग्रेस में शिक्षकों की संख्या इक्का-दुक्का व माफियाओं की संख्या भरी हुई है.
सहाना गुहा राय, भाजपा प्रत्याशी
यह सही है कि दल ने मुझे निर्देश के साथ जिम्मेवारी भी दी है कि इस सीट पर जीत तय हो. मैं आैर मेरे सभी कार्यकर्ता अपनी पूरी ताकत ब्रज मोहन मजूमदार को जिताने में झोंक दिये हैं. मुझे भरोसा है, कि यह सीट तृणमूल की झोली में गिरेगी.

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