कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी की जगह राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्र को उद्योग विभाग का दायित्व दिया है. श्री मित्र के समक्ष निवेशकों को आमंत्रित करने की कठिन चुनौती है,क्योंकि श्री चटर्जी के कार्यकाल में राज्य के उद्योगों में निवेश में गिरावट आयी है.
योजना आयोग के समक्ष रिपोर्ट पेश करते हुए पश्चिम बंगाल ने दावा किया है कि मई, 2011 से राज्य में निवेश का 1.12 लाख करोड़ रुपये का प्रस्ताव मिला है, इससे 314,000 रोजगार सृजन की संभावनाएं हैं.
हालांकि वास्तविक स्थिति इससे भिन्न है. 2012 का वर्ष औद्योगिक क्षेत्र के लिए बुरा रहा है. इस वर्ष 312 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का क्रियान्वयन की बात कही गयी थी, जो 85 फीसदी था, जबकि 2010 में यह आंकड़ा 97 फीसदी का था. पश्चिम बंगाल आर्थिक समीक्षा 2012-13 में इसका खुलासा किया गया है.
2012-13 में पश्चिम बंगाल का उद्योग के क्षेत्र में 5.48 फीसदी की दर से विकास हुआ, जो 2011-12 में 3.82 फीसदी की तुलना में अधिक था. यह तृणमूल सरकार की गठन का पहला वर्ष था, हालांकि पूर्व वाममोरचा सरकार के समय 2010-11 के दौरान औद्योगिक विकास दर 5.83 फीसदी थी.
उद्योग का नहीं आने का मुख्य कारण जमीन की अनुपलब्धता बतायी जा रही है. औद्योगिक नीति के प्रारूप में राज्य सरकार जबरन जमीन अधिग्रहण से इनकार किया था. भारतीय सांख्यिकी संस्थान के पूर्व प्रोफेसर दीपंकर दासगुप्ता का कहना है कि बंगाल में जमीन एक बड़ा मुद्दा है.
उनका मानना है कि सरकार अपनी गलतियों से सीख रही हैं. अंतत: राज्य में उद्योग को बढ़ावा देने के लिए मध्यम मार्ग का अनुशरण करेगी. वह आशा करते हैं कि श्री मित्र उद्योगपतियों से सीधे बातचीत करेंगे तथा समस्या का समाधान करेंगे.