उसके पास से पुलिस को हजारों प्रीएक्टिवेटेड सीम कार्ड मिले हैं. पुलिस के मुताबिक यह गिरोह महज तीन दिन में ठगी की वारदात को अंजाम दिया था. इस मामले में इसके पहले पांच इंजीनियरिंग के छात्र जुएल राणा (22), प्रशांत रंगा (23), शिवनाथ विश्वास (22) आशुतोष लोहार (19) और मंटू लोहार (20) को गिरफ्तार किया गया था.
पूरे मामले में कोलकाता पुलिस के संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) देवाशीष बोराल ने बताया कि पूरे गिरोह का मास्टर माइंड जुएल राणा है. यह गिरोह सिमकार्ड के जरिये इमेल आइडी व मोबाइल नंबर बदल कर एक निजी सरकारी बैंक के मोबाइल एप्लीकेशन में वॉलेट बनाने के नाम पर बैंक से मिलने वाले कैशबैक में कारगुजारी की.
इसी तरह अन्य लोगों को भी अपने इस शाजिश में शामिल कर बैंक को कुल आठ करोड़ 60 लाख रुपये की धोखाधड़ी की. गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ किया जा रहा है. इस घटना के खुलासे के बाद बैंक की तरफ से 23 फरवरी को लालबाजार के बैंक धोखाधड़ी विभाग में इसकी शिकायत दर्ज करायी गयी थी. इस मामले में पुलिस ने जांच शुरू की और इस गिरोह को गिरफ्तार कर लिया.