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बोले जस्टिस गांगुली- मुसलमानों को मदरसे नहीं, आधुनिक शिक्षण संस्थान मिले
कोलकाता : जस्टिस गांगुली ने कहा : मुसलमानों की बदहाली के लिए कुछ ऐतिहासिक कारण तो हैं, पर राज्य सरकारों ने आधुनिक शिक्षा का विभाजन कर उन्हें शिक्षा से दूर रखने का प्रयास किया है. इसके लिए पिछली वाममोरचा सरकार भी जिम्मेदार है. पर वर्तमान सरकार के समय तो उनकी हालत आैर भी खराब है. […]
कोलकाता : जस्टिस गांगुली ने कहा : मुसलमानों की बदहाली के लिए कुछ ऐतिहासिक कारण तो हैं, पर राज्य सरकारों ने आधुनिक शिक्षा का विभाजन कर उन्हें शिक्षा से दूर रखने का प्रयास किया है. इसके लिए पिछली वाममोरचा सरकार भी जिम्मेदार है. पर वर्तमान सरकार के समय तो उनकी हालत आैर भी खराब है. आखिर हिंदू के बच्चों को पढ़ने के लिए संस्कृत टोल भेजने की बात क्यों नहीं होती है, क्यों सरकार मुसलमानों के बच्चों को केवल मदरसों में पढ़ाने की बात करती है. इस काम में तथाकथित मुसलिम नेताआें ने भी बड़ी भूमिका निभाई है, जिन्होंने अपने फायदे के लिए समुदाय को इस्तेमाल किया है.
परिचर्चा को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता आेमप्रकाश मिश्रा ने कहा कि उन्हें यह जानकर बेहद तकलीफ पहुंची कि जिन इलाकों में मुसलमानों की आबादी 15 प्रतिशत से कम है, वहां स्वास्थ्य परिसेवा की स्थिति बेहतर है, पर जहां उनकी जनसंख्या 50 प्रतिशत से अधिक है, वहां स्वास्थ्य परिसेवा न के बराबर है. राजनीतिक प्रतिनिधित्व भी खतरनाक हद तक कम हो गया है. पूर्व सांसद मोइनुल हसन ने कहा कि पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की खराब स्थिति को जानने के लिए किसी रिपोर्ट की जरूरत नहीं है. यह एक खुली हुई सच्चाई है.
पूर्व आइपीएस डॉ. नजरुल इसलाम ने कहा कि राज्य में मुसलमानों की आबादी 27.1 प्रतिशत है, पर सरकारी नौकरी में उनकी हिस्सेदारी केवल 2.1 प्रतिशत है. राज्यसभा के 16 सांसदों में केवल एक मुसलमान है. लाेकसभा व विधानसभाआें में भी उनकी हिस्सेदारी उनकी आबादी के हिसाब से काफी कम है. ममता बनर्जी ने पिछले पांच वर्ष में केवल झूठे वादे किये हैं. एक भी वादा पूरा नहीं किया. शिक्षाविद् डॉ. मोईदुल इसलाम ने कहा कि राज्य में 75 प्रतिशत मुसलिम भूमिहीन हैं. बैंक नहीं होने के कारण 43 प्रतिशत मुसलमान महाजनों से कर्ज लेते हैं. श्री इसलाम ने कहा कि इस स्थिति के बावजूद सरकार यह दावा करती है कि मुसलमानों का सौ प्रतिशत काम कर दिया गया. अगर ऐसा होगा तो लोग स्वयं इसे स्वीकार करेंगे, ऊपर से यह दावा करने का क्या तुक है.
खेर पर लगाया व्यक्तिगत आक्रमण करने का आरोप
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस अशोक कुमार गांगुली ने फिल्म अभिनेता अनुपम खेर पर व्यक्तिगत आक्रमण करने का आरोप लगाया है. जस्टिस गांगुली व अनुपम खेर दोनों शनिवार को महानगर में हुए एक परिचर्चा में शामिल हुए थे. रविवार को एक कार्यक्रम के दौरान इस मुद्दे पर जस्टिस गांगुली ने कहा कि परिचर्चा का विषय सहिष्णुता एक नयी असहिष्णुता है था, जिस पर विभिन्न वक्ता अपनी-अपनी राय रख रहे थे, मैंने भी वहां अपनी बात रखी. यह किसी एक व्यक्ति के खिलाफ परिचर्चा नहीं थी. इसके लिए एक विषय निर्धारित किया गया था, पर इसके बावजूद अभिनेता अनुपम खेर ने मुझ पर व्यक्तिगत आक्रमण किया. उन्होंने यहां तक कहा कि उन्हें एक न्यायाधीश होने की स्थिति में अपनी बात पर लज्जित होना चाहिए.
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