उन्होंने मीडिया से भी इस बात के लिए अनुरोध किया कि इस स्थान के प्रति लोगों को अधिक से अधिक जानकारी दें, ताकि इस अति प्राचीन मंदिर में अधिक से अधिक श्रद्धालु भगवान शिव व मां दुर्गा का दर्शन कर सकें. विख्यात तारकेश्वर व बाबा लोकनाथ के मंदिर की तरह यहां के बारे में भी लोगों को पता चले इसी के तहत इस भव्य गेट का निर्माण किया गया है.
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मेयर शोभन चटर्जी ने पुरानी यादों को ताजा करते हुए मुख्यमंत्री के साथ 32 वर्षों पहले 1980 में निर्वाचन प्रचार के दौरान आने के वाकये का जिक्र किया. तभी से मुख्यमंत्री के मन में इस स्थान के जीर्णोद्धार की भावना थी. उल्लेखनीय है कि 1781 में राजा जयनारायण घोषाल ने एक पत्थर से यहां एशिया में स्थान रखने वाले दो शिवलिंग रक्तकमलेश्वर व कृष्णचंद्रेश्वर को स्थापित किया था. लोग बताते हैं कि इस मंदिर का माहात्म्य ऐसा था कि यहां प्रसिद्ध साधक रामप्रसाद व रामकृष्ण ने पुजारी का काम किया था. इस अवसर पर पार्षद रामप्यारे राम, पार्षद देवव्रत मजुमदार, पार्षद षष्ठी दास, पार्षद रतन मालाकार, पार्षद पार्थो मित्रा, समाजसेवी सीताराम राय, मो मोइनुददीन, अली शेर खान, मिंटू दास, अयुब खान, धनंजय सिंह, अखिलेश सिंह, गेट का निर्माण करनेवाली टीम के इंजीनियर सुब्रत शील, संजय चौधरी, शांतनु घोष, पार्थ सारथी सामंत के साथ अन्य गणमान्य अतिथि शामिल थे. कार्यक्रम का संचालन राजेश सिंह ने किया.