दूसरी तरफ वाम दलों के साथ गठबंधन के लिये राजी कांग्रेस के प्रदेश नेता हाइकमान की हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं. सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार आम बजट के बाद ही चुनाव आयोग विधानसभा चुनाव की तिथि की घोषणा कर सकती है. फलस्वरूप सभी राजनीतिक दल अपनी चुनावी रणनीति बनाने में जुट गये हैं. जिला तथा राज्य कांग्रेस नेताओं के मुताबिक गठबंधन के लिये वामदलों की ओर से सीटों के बटवारे को लेकर बातचीत शुरू हो गयी है.
माकपा के जिला सचिव अंबर मित्र ने बताया कि मालदा में 12 विधानसभा सीटों में किस सीट पर किस पार्टी का उम्मीदवार लड़ेगा, यह फैसला जिला नेतृत्व के साथ विचार कर पार्टी के शीर्ष नेता लेंगे़ सीट बंटवारे या उम्मीदवारों को लेकर राज्य नेतृत्व की ओर से अभी तक किसी भी प्रकार का कोई निर्देश नहीं आया है़ उन्होंने यह भी कहा कि सीटों के बंटवारे को लेकर कोइ परेशानी नहीं होगी़.
इधर, कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पिछले लोकसभा चुनाव में मालदा के 12 विधानसभा सीटों में से मात्र दो सीटों, गाजल एवं हविबपुर पर ही वामपंथी कांग्रेस से आगे थे़ जबकि बचे दस सीटों पर कांग्रेस को काफी अधिक वोट मिले हैं. इसी आधार पर दस सीटें कांग्रेस के लिये छोड़कर केवल दो सीटों पर ही वाम मोरचा को चुनाव लड़ना चाहिये. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि लोकसभा चुनाव में मिले मत के आधार पर सीटों का बंटवारा होना सही होगा. कांग्रेस के एक नेता के कथनानुसार हविबपुर एवं गाजल वामपंथियों के लिए छोड़कर उत्तर मालदा की शेष पांच विधानसभा सीटे कांग्रेस के हाथ में रहेगी. इसके अतिरिक्त मालतीपुर व हरिश्चंद्रपुर विधानसभा सीट भी कांग्रेस कभी नहीं छोड़ेगी. ये दोनों विधानसभा अभी वाम मोरचा के कब्जे में है. मालतीपुर के विधायक हैं आरएसपी के रहिम बक्सी एवं हरिश्चंद्रपुर के विधायक फॉरवार्ड ब्लॉक के ताजमूल हक. हांलाकि ताजमूल हक तृणमूल में शामिल हो गये हैं. वर्ष 2011 के विधानसभा चुनाव में इन दो सीटों के अलावा हबिवपुर सीट पर वाम मोरचा की जीत हुयी थी. इसके बाद लोकसभा चुनाव में मालतीपुर विधानसभा सीट पर 37 हजार वोट से व हरिश्चंद्रपुर सीट पर भी 20 हजार वोट से कांग्रेस आगे थी. लोकसभा चुनाव में मिले मतों के आधार पर कांग्रेस ये दो सीटें किसी कीमत पर भी नहीं छोड़ना चाहेगी. उन्होंने यह भी कहा कि सीटों के बंटवारे को लेकर अभी तक विचार-विमर्श शुरू ही नहीं हुआ है.