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गांवों में 38% से अधिक मुसलिम गरीबी रेखा के नीचे : अमर्त्य

कोलकाता. मशहूर अर्थ शास्त्री व नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने राज्य में मुसलिम समुदाय की हालत सुधार देने के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दावों की पोल खोल कर रख दी है. पश्चिम बंगाल के मुसलमानों की वास्तविक स्थिति पर आधारित एक रिपोर्ट का विमोचन करते हुए श्री सेन ने कहा कि बंगाल में गरीबी […]

कोलकाता. मशहूर अर्थ शास्त्री व नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने राज्य में मुसलिम समुदाय की हालत सुधार देने के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दावों की पोल खोल कर रख दी है. पश्चिम बंगाल के मुसलमानों की वास्तविक स्थिति पर आधारित एक रिपोर्ट का विमोचन करते हुए श्री सेन ने कहा कि बंगाल में गरीबी रेखा की दहलीज पर जीवन गुजारने वाले परिवारों की मासिक आय पांच हजार रुपये है, जबकि उनमें से 38.2 प्रतिशत परिवारों की आमदनी केवल ढाई हजार रुपये है. इस रिपोर्ट को अमर्त्य सेन द्वारा गठित संगठन प्रतिची ट्रस्ट, गाइडेंस गिल्ड एवं एसोसिएशन एसएनएपी ने मिल कर तैयार किया है.

रिपोर्ट के विमोचन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री सेन ने कहा कि ममता सरकार अपने कार्यकाल में अल्पसंख्यकों की उम्मीदों पर खरा उतरने में नाकाम रही है. यह रिपोर्ट 325 गांवों एवं शहरी इलाके के 73 वार्ड को लेकर तैयार की गयी. रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम बंगाल के ग्रामीण मुसलमानों का केवल 1.5 प्रतिशत प्राइवेट सेक्टर एवं एक प्रतिशत से भी कम सरकारी नौकरी में है. 13.2 प्रतिशत युवा मुसलिमों के पास वोटर कार्ड तक नहीं है.

जबकि केवल 12.2 प्रतिशत मुसलिम परिवाराें को ही निकासी की सुविधा हासिल है. गांवों से शहरों का रुख करने वाले मुसलमानों का प्रतिशत 19 है. 6-14 वर्ष की उम्र के 15 प्रतिशत मुसलिम बच्चे स्कूल नहीं जाते है. 5.4 प्रतिशत बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया है, वहीं 9.1 प्रतिशत बच्चों ने कभी स्कूल का मुंह ही नहीं देखा है. राज्य में प्रत्येक एक लाख की आबादी पर 10.6 माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूल हैं, पर मुर्शिदाबाद, मालदह व उत्तर दिनाजपुर जैसे मुसलिम बहूल जिलों में 7.2, 8.5 एवं 6.2 प्रतिशत ही माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूल हैं.

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