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चुनाव से पहले तृणमूल सरकार ने खेला ग्रुप डी पद का कार्ड, 60 हजार नियुक्तियों का विज्ञापन जारी

कोलकाता: राज्य विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने बाकी रह गये हैं. चुनाव से ठीक पहले तृणमूल सरकार ने ग्रुप डी पद के लिए 60 हजार कर्मियों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया है. हालांकि इसके लिए सात महीने पहले ही घोषणा की गयी थी, पर आधारभूत ढांचे के अभाव में विधानसभा चुनाव […]

कोलकाता: राज्य विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने बाकी रह गये हैं. चुनाव से ठीक पहले तृणमूल सरकार ने ग्रुप डी पद के लिए 60 हजार कर्मियों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया है. हालांकि इसके लिए सात महीने पहले ही घोषणा की गयी थी, पर आधारभूत ढांचे के अभाव में विधानसभा चुनाव के ठीक बाद नियुक्ति प्रक्रिया आरंभ करने का फैसला लिया गया था. पर सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री की हिदायत पर यह फैसला बदल गया.
क्या है देर होने की वजह
इस विलंब के पीछे भी एक कहानी है. फैसला लिया गया था कि एक नया रिक्रूटमेंट बोर्ड का गठन कर ग्रुप डी पद पर नियुक्ति की जायेगी. लेकिन बोर्ड गठन करने में ही पांच महीने निकल गये आैर नवंबर 2015 में बोर्ड तैयार हुआ. पर बोर्ड तैयार होने के बावजूद अभी तक जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं किया गया, इसलिए यह तय किया गया कि 2016 के विधानसभा चुनाव के बाद नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जायेगी. उसके अनुसार 19 जनवरी को राज्य सरकार के 60 विभागों के सचिवों व 20 जिलों के डीएम को पत्र लिख कर रिक्त पदों की संख्या की जानकारी मांगी गयी. इस बीच, पिछले सप्ताह हुई प्रशासनिक बैठक में मुख्यमंत्री ने काम की स्थिति की जानकारी मांगी. चुनाव के बाद नियुक्ति प्रक्रिया आरंभ होने की बात जान कर मुख्यमंत्री नाराज हो गयीं. उन्होंने अधिकारियों से सवाल किया कि क्यों सात महीने में भी नियुक्ति प्रक्रिया आरंभ नहीं की गयी.

मुख्यमंत्री के तेवर को देखते ही विभाग फौरन हरकत में आ गया आैर रिक्त पदों की तालिका आने से पहले ही जल्दबाजी में अखबारों में नियुक्ति के लिए आवेदन दे दिया. बुनियादी ढांचे के अभाव में पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन करने का फैसला लिया गया है. विपक्ष आरोप लगा रहा है कि चुनाव में फायदा उठाने के लिए यह सब किया जा रहा है. पिछले वर्ष जून में इसकी घोषणा की गयी थी, पर नियुक्ति प्रक्रिया आरंभ करने में सात महीने की देरी क्यों हुई. अब सवाल यह उठता है कि जो काम सात महीने में नहीं हो पाया, उस काम के एक महीने में होने की कितनी संभावना है.

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