इसका मुख्य कारण मिलों में बढ़ती यूनियनबाजी और सरकार की उदासीनता को जिम्मेवार माना जा रहा है. यहां के मिलों की समस्या को किस प्रकार से हल किया जाये.उक्त प्रश्न का हल ढूंढ़ने के लिए प्रभात खबर और जन संसार के संयुक्त आयोजन में इस बार जन संवाद का विषय ‘मिलों की समस्या का समाधान रखा गया ‘. जन संवाद के आयोजन में बुद्धिजीवी, युवा, राजनीति और समाज सेवा कार्य जुड़े विशिष्ट लोग शामिल हुए. जन संवाद के मंच पर परिचर्चा में पहले यहां बंद मिलों के कारण पर प्रकाश डाला गया और श्रमिकों की समस्याओं को ऊपर तक कैसे पहुुंचाया जाये इस पर जोर दिया गया.
Advertisement
प्रभात खबर जन संवाद में उठी मांग : जूट मिलों की समस्या का हो समाधान
कोलकाता. उत्तर 24 परगना जिले का टीटागढ़ हिंदी भाषी बहुल इलाका है. यहां के ज्यादातर लाेगों का रोजी-रोजगार जूट मिलों पर निर्भर करता है. वर्तमान में जूट मिल एवं कल कारखानाें के बंद होने से यहां के श्रमिकों की हालत काफी दयनीय हो गयी है. मिलों के बंद हाेने से कारण कई लोग तो अपने […]
कोलकाता. उत्तर 24 परगना जिले का टीटागढ़ हिंदी भाषी बहुल इलाका है. यहां के ज्यादातर लाेगों का रोजी-रोजगार जूट मिलों पर निर्भर करता है. वर्तमान में जूट मिल एवं कल कारखानाें के बंद होने से यहां के श्रमिकों की हालत काफी दयनीय हो गयी है. मिलों के बंद हाेने से कारण कई लोग तो अपने घरों को वापस लौट गये पर जो यहां बच गये हैं. दूसरे रोजगार कर अपना और अपने परिवार का पेट किसी तरह पाल रहे हैं.
आइये जानते हैं उपरोक्त मुद्दे पर विशिष्ट लोगों की राय : बिनाय लाल (10 नंबर वार्ड के पार्षद ) : पूरे बंगाल में आज जूट मिलों की स्थिति काफी खराब है. यहां के जूट श्रमिक इस हालत में जीवन गुजार रहे हैं. यह काफी चिंता का विषय है. काम करने के बावजूद जब पैसा देने के बारी आती है तो उन्हें बार-बार दौड़ाया जाता है. ग्रेच्यूटी का चेक तो मिलता है किन्तुु बैंक में जाने के बाद उसमें से कई चेक बाउन्स हो जाता है. यहां के गरीब लोग उनके खिलाफ आवाज नहीं उठा पाते. प्रभात खबर के टीम के माध्यम ऐसे कार्यकम का आयोजन हुआ. यह काफी सराहनीय है. आशा करते हैं. इसके माध्यम के इन गरीब श्रमिकों की आवाज ऊपर तक पहुंचेगी.
श्यामनारायण सिंह (बुद्धजीवी): यहां शुरू से ही श्रमिकों का शोषण होते आया है. वर्तमान में बंगाल में जूट की स्थिति काफी खराब है. जब से जूट उद्योग को प्रमोटरों के हवाले कर दिया गया. उसके बाद से इसकी हालत खराब होनी शुरू हो गयी. जो मिल किसी तरह चल रही है उसमें सही तरीके से वेतन का भुगतान भी नहीं किया जाता. मिल कब चलेगी, कब बंद हो जायेगी. इसे कोई देखने वाला नहीं है.
शंभुनाथ प्रसाद ( होमियोपैथिक डाक्टर): मिल बंद होने का प्रमुख कारण यूनियन की बढ़ती संख्या है अगर मिलों से यूनियनों को समाप्त कर दिया जाये. स्वत: ही मिलों की सभी समस्याएं समाप्त हो जायेंगी.
प्रमोद कुमार सिंह (शिक्षक): आज बंगाल के जूट श्रमिकों की हालत काफी खराब है. उसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं. मिलों के क्वार्टर में निवास करने वाले श्रमिक नारकीय स्थिति में जीवन गुजाने को विवश हैं. मिल क्वार्टर की हालत काफी खराब है. कभी भी गिर सकता है. घर टूट जाने पर श्रमिकों को खुद ही मरम्मत भी करना पड़ता है. इलाके में जो भी प्रतिनिधि आये श्रमिकों की आवाज सुनने वाला कोेई नहीं. स्थिति दिनों-दिन खराब होती जा रही है. उन्होंने प्रभात खबर के माध्यम से श्रमिकों की स्थिति का जल्द का जल्द से हल निकाला जाये इस बात पर जोर दिया.
राम लखन बिन (अवकाश प्राप्त नगरपालिका कर्मचारी): 1872 में टीटागढ़ पहला जूट मिल खोला गया. उस समय यहां के लोग काफी खुशहाल थे. पर धीरे-धीरे मिलों के दलालों के बढ़ती संख्या के कारण आज यहां के जूट उद्योग खत्म होने के कगार पर है. पहले एक तांत घर में चार-चार सौ लोग काम करते थे. अब उनकी संख्या एक सौ में सिमट कर रह गयी है. मिल बंद होने का सारा दाेष श्रमिकों पर लगा दिया जाता है.
कपिल राम ( समाज सेवी ): इन्होंने प्रभात के खबर की इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि इससे पहले किसी अखबार ने ऐसा कदम नहीं उठाया. आशा करते हैं. आगे भी इस प्रकार का कार्यक्रम होते रहना चाहिए. लोगों को सब के सामने अपनी बात खुल कर रखने का मौका मिलता है.
रविंदर सिंह : जूट उद्योग की खराब हालत के कारण मिलों में काम करने वाले श्रमिकों के बच्चों पर काफी खराब असर पड़ रहा है. पैसे अभाव में उनकी पढ़ायी सही तरीके से नहीं हो पा रही है. इससे उनका जीवन अंधेरे में जा रहा है.
मनीष सिंह (समाज सेवक): मिल मालिकोें की उदासीनता के कारण मिलों के क्वार्टरों की हालत काफी खराब रहती है. सिंह ने क्वार्टर इलाके की निकासी व्यवस्था में सुधार करने पर प्रकाश डाला.
किशोर नायक : मिलों की मूल समस्या है यूनियन. मिल को यूनियन मुक्त करना होगा तभी मिल की समस्याओं से निजात पाया जा सकता है. यूनियन नेताआें के कारण ही श्रमिकों आवाज मिल मालिकों तक नहीं पहुंच पाता. बीच में रूक रह जाता है. इस कारण उनकी किसी भी समस्या पर कोई सुनवाई नहीं होती.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement