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चिटफंड कंपनियों पर नकेल कसने की कवायद, कार्रवाई करने को राज्य सरकार तैयार
कोलकाता: चिटफंड कंपनियों की नकेल कसने व उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए आखिरकार राज्य सरकार तैयार हो गयी है, क्योंकि काफी समय से लंबित पड़े गैरकानूनी निवेश कंपनियां ( चिटफंड) नियंत्रण कानून को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंजूरी दे दी है और राज्य सरकार के पास राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी के माध्यम से इसकी सूचना […]
कोलकाता: चिटफंड कंपनियों की नकेल कसने व उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए आखिरकार राज्य सरकार तैयार हो गयी है, क्योंकि काफी समय से लंबित पड़े गैरकानूनी निवेश कंपनियां ( चिटफंड) नियंत्रण कानून को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंजूरी दे दी है और राज्य सरकार के पास राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी के माध्यम से इसकी सूचना भी दी जा चुकी है. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद अब राज्य सरकार इन चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए योजना भी बनाने लगी है.
इस संबंध में बहुत राज्य सरकार द्वारा सरकारी अधिसूचना जारी की जायेगी. हालांकि इस कानून को कार्यकर करने में अभी भी चार महीने का समय लगेगा, लेकिन यह कानून लागू होने के बाद राज्य सरकार इन कंपनियों के खिलाफ कठोरता से कार्रवाई कर सकेगी.
नये कानून के अनुसार, किसी भी निवेशक कंपनी को बाजार से रुपये उगाहने से पहले विभिन्न केंद्रीय संस्थाओं के साथ-साथ राज्य सरकार से भी अनुमति लेनी होगी. राज्य का वित्त विभाग व पुलिस के पास इन कंपनियों पर निगरानी रखने का अधिकार होगा और इसके साथ ही किसी प्रकार की शिकायत मिलने पर कंपनी की संपत्ति जब्त करने से लेकर कंपनी के अधिकारियों को जेल व जुर्माना भी लगाने का प्रावधान है. वित्त विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, अब चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए हमें केंद्र सरकार का निर्देश लेने की जरूरत नहीं है, राज्य सरकार स्वयं आरोपियों को पकड़ कर जेल में डाल सकती है.
गौरतलब है कि राज्य में वाम मोरचा कार्यकाल के दौरान वर्ष 2003 व 2008 में यह कानून विधानसभा में पारित हुआ था, लेकिन केंद्र सरकार ने इस विधेयक पर रोक लगा दी थी. वर्ष 2013 में तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने फिर से यह विधेयक पास हाेने के लिए केंद्र सरकार के समक्ष पेश किया, लेकिन इस बार भी केंद्र ने विधेयक के कुछ धाराओं को लेकर प्रश्न उठाये थे, इसके बाद जून 2015 में राज्य सरकार ने फिर से विधेयक में संशोधन करते हुए इसे केंद्र के पास भेजा था, जिसे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अब अपनी मंजूरी दे दी है.
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