वर्ष 2014-15 के 8.029 लाख हेक्टेयर के मुकाबले, 2015-16 में कच्चे जूट की खेती का रकबा घटकर 7.46 लाख हेक्टेयर रह गया. गौरतलब है कि कच्चा माल की कमी के कारण यहां के जूट कारखानों को काफी कठिनाइयाें का सामना करना पड़ रहा है. राज्य में करीब 15 जूट मिल बंद हो गये हैं और जिसकी वजह से 70 हजार लोग बेरोजगार हो गये हैं. जेसीआइ की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान वित्तीय वर्ष में लगभग 60 लाख बेल्स पाट का उत्पादन होगा, जबकि संस्थानों द्वारा पेश की गयी रिपोर्ट यह उत्पादन लगभग 103 लाख बेल के आस-पास रहेगा. जूट मिल मालिकों के एसोसिएशन आइजेएमए ने भी 60-65 लाख बेल पाट उत्पादन होने की आशंका जतायी है.
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कच्चे पाट की कीमत में 18.5 फीसदी की वृद्धि
कोलकाता: जूट आयुक्त कार्यालय ने 2016-17 के लिए कच्चे जूट का न्यूनतम समर्थन मूल्य 18.5 प्रतिशत बढ़ाकर 3,200 रुपये प्रति क्विंटल करने का प्रस्ताव किया, ताकि जूट उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा सके. जूट आयुक्त कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वर्ष 2015-16 में न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,700 रुपये प्रति क्विंटल था, लेकिन […]
कोलकाता: जूट आयुक्त कार्यालय ने 2016-17 के लिए कच्चे जूट का न्यूनतम समर्थन मूल्य 18.5 प्रतिशत बढ़ाकर 3,200 रुपये प्रति क्विंटल करने का प्रस्ताव किया, ताकि जूट उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा सके. जूट आयुक्त कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वर्ष 2015-16 में न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,700 रुपये प्रति क्विंटल था, लेकिन इस फसल से जुड़े गंभीर संकट के मद्देनजर मौजूदा बाजार मूल्य 5,000 रुपये प्रति क्विंटल है. अगले साल के लिए जूट आयुक्त कार्यालय ने न्यूनतम समर्थन मूल्य 3,200 रुपये प्रति क्विंटल रखे जाने की सिफारिश मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए भेज दी है.
हालांकि, जूट काॅरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा उत्पादन लागत 3,650 रुपये प्रति क्विंटल तय किये जाने से उद्योगों में नये न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर आशंका है.
वित्त वर्ष 2015-16 में खेती का दायरा 7.5 लाख हेक्टेयर रह गया, जो 2014-15 के आठ लाख हेक्टेयर के दायरे से कम है. कपड़ा मंत्री संतोष गंगवार ने हाल में कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह को लिखे पत्र में कहा कि पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, ओड़िशा के 40 लाख किसानों को जूट की खेती आजीविका प्रदान करती है, जो मिलों के लिए कच्चा माल है, जहां 3.75 लाख कामगारों को रोजगार मिलता है, लेकिन हाल के वर्षों में कच्चे जूट की खेती कम हो रही है जो कि चिंता का विषय है.
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