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निमोनिया पर नियंत्रण से शिशु मृत्यु दर में कमी

कोलकाता. शिशु रोग विशेषज्ञों का कहना है कि निमोनिया पर नियंत्रण से देश में शिशु मृत्यु दर में कमी लाना संभव है. वेस्ट बंगाल अकादमी ऑफ पेडियाट्रिक्स द्वारा आयोजित शिशु चिकित्सकों के 34वें वार्षिक सम्मेलन पेडिकन -2015 को संबोधित करते हुए विख्यात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ शांतनु भक्त ने कहा कि वर्ष 2000 में देश […]

कोलकाता. शिशु रोग विशेषज्ञों का कहना है कि निमोनिया पर नियंत्रण से देश में शिशु मृत्यु दर में कमी लाना संभव है. वेस्ट बंगाल अकादमी ऑफ पेडियाट्रिक्स द्वारा आयोजित शिशु चिकित्सकों के 34वें वार्षिक सम्मेलन पेडिकन -2015 को संबोधित करते हुए विख्यात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ शांतनु भक्त ने कहा कि वर्ष 2000 में देश में शिशु मृत्यु दर प्रति 1000 पर 66 थी, जो 2015 में 42 तक पहुंच गयी है.

निमोनिया पर नियंत्रण पाने तथा इस रोग के इलाज के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किये जाने से शिशु मृत्यु की दर में आैर भी कमी लाने में हमलोग सफल होंगे. भारत में शिशु मृत्यु का सबसे बड़ा कारण निमोनिया ही है. सही समय पर सटिक इलाज से इस रोग पर नियंत्रण संभव है.

कार्यक्रम में इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड केयर के डॉ जयदीप चौधरी ने कहा कि निमोनिया पर नियंत्रण के लिए टीका लेने के संबंध में जागरूकता फैलाने पर इस रोग से ग्रस्त होनेवालों की संख्या में आैर कमी आयेगी. निमोनिया का टीका पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को रोग की संभावना से बचाने के साथ-साथ मृत्यु दर में कमी लाने में भी सक्षम है. मुंबई के डॉ प्रमोद योग ने कहा कि केवल साल में एक दिन नहीं, निमोनिया के खिलाफ जागरूकता अभियान साल भर जारी रखने की जरूरत है. वेस्ट बंगाल अकादमी ऑफ पेडियाट्रक्स के अध्यक्ष डॉ अरुप राय ने कहा कि भले ही 2015 में देश में शिशु मृत्यु की दर कमी आयी है, लेकिन विश्व स्तर पर यह अभी भी बहुत है. 2015 में हमारे देश में लगभग 12 लाख बच्चों की मौत हुई है. कार्यक्रम में डॉ गौतम घोष, डॉ तपन सिन्हा महापात्र, डॉ सुदीप दत्त आदि मौजूद थे.

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