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राष्ट्रीय विमर्श में सभी समुदायों को मिले स्थान : राष्ट्रपति
इंदिरा गांधी स्मारक आख्यान में बोले राष्ट्रपति कोलकाता : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को अल्पसंख्यकों की संवेदनाओं के सम्मान की जरूरत को रेखांकित किया. कहा कि हमें इस तरह का माहौल बनाने का प्रयास करना चाहिए, जहां हर समुदाय खुद को राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा समझे. यहां एशियाटिक सोसाइटी में इंदिरा गांधी स्मारक आख्यान […]
इंदिरा गांधी स्मारक आख्यान में बोले राष्ट्रपति
कोलकाता : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को अल्पसंख्यकों की संवेदनाओं के सम्मान की जरूरत को रेखांकित किया. कहा कि हमें इस तरह का माहौल बनाने का प्रयास करना चाहिए, जहां हर समुदाय खुद को राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा समझे.
यहां एशियाटिक सोसाइटी में इंदिरा गांधी स्मारक आख्यान देते हुए उन्होंने कहा, ‘हमें अपने सभी नागरिकों में व्यापक मानवीय दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करना चाहिए. उन्हें जातिगत अथवा सामुदायिक निष्ठा से ऊपर उठने के लिए शिक्षित करना चाहिए. हमें अल्पसंख्यकों के अधिकारों और संवेदनाओं का आदर करना सीखना चाहिए और इसका पालन करना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘हमें ऐसा वातावरण बनाने का प्रयास करना चाहिए, जहां प्रत्येक समुदाय खुद को राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा समझे.’ राष्ट्रपति ने धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक दृष्टिकोण विकसित और जीने के ऐसे तरीके को प्रोत्साहित करने का आह्वान किया, जो समावेशी हो और नागरिक कर्तव्यों एवं अधिकारों के साथ-ही-साथ लोगों के उत्तरदायित्वों के बीच हस्तक्षेप नहीं करता हो. राष्ट्रपति ने क्षेत्रीय हितों के राष्ट्रीय हितों पर हावी होने को लेकर भी आगाह किया.
असमानता कम करने पर देना चाहिए ध्यान
उन्होंने कहा कि भाषायी बहुलतावाले समाज में सभी भारतीय भाषाओं को बढ़ावा और समर्थन मिलना चाहिए. कहा कि विभिन्न धर्मों और यहां जन्म लेनेवाले महान संतों के बारे में जानकारी को प्रत्येक व्यक्ति की शिक्षा में समाहित किया जाना चाहिए.
राष्ट्रपति ने कहा कि जीवन स्तर को ऊपर उठाने और शक्ति, धन, आय, उपभोग एवं शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सामाजिक सेवाओं के उपयोग में मौजूद असमानताओं को कम करने पर ध्यान होना चाहिए. निष्पक्ष एवं अच्छा प्रशासन देना चाहिए, जो जाति, धर्म, नस्ल, रंग, लिंग या जन्म स्थान से इतर हर नागरिक के साथ समान व्यवहार को सुनिश्चित करेगा.
राष्ट्रहित हो प्राथमिकता
राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय एकता के लिए जरूरी है कि प्रत्येकनागरिक, वर्ग अथवा व्यक्ति व्यक्तिगत हितों से बढ़ कर राष्ट्रीय हित की प्राथमिकता को समझे. एशियाटिक सोसाइटी की स्थापना विलियम जोंस ने की. वर्ष 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संसद में कानून लाकर इसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा दिया.
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