कोलकाता : पिछले सप्ताह सिलीगुड़ी से आइएसआइ से जुड़े एक जासूसी रैकेट से संबंध रखने के आरोप में एक सैन्य कर्मी की गिरफ्तारी ने भारतीय रक्षा विभाग में खलबली मचा दी है.
इसके साथ ही बीएसएफ के एक जवान एवं कारगिल युद्ध में शामिल रहे एक पूर्व सैनिक की भी गिरफ्तारी ने खुफिया सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है. इन सबके बावजूद भारतीय सेना का दावा है कि इस प्रकार की घटनाआें के प्रति हम लोग पहले से ही काफी सतर्क हैं आैर इनसे निबटने के लिए हम लोगों ने पर्याप्त कदम उठाये हैं.
मीडिया से बात करते हुए सेना के पूर्वी कमान के मेजर जनरल एएस बेदी ने कहा कि पूर्वी कमान में जिस तरह के क्रिया कलाप हुए हैं, हमें उन सबके बारे में पता है. जासूसी जैसे खतरों के प्रति हम हमेशा से ही सतर्क रहे हैं और इससे निबटने के लिए जमीनी स्तर पर नियमित रूप से पर्याप्त उपाय किये जाते हैं.
हम सभी तरह के खतरों के प्रति सतर्क, सचेत और संवेदनशील हैं. आइएसआइ के एक संदिग्ध खुफिया सदस्य के साथ कथित रुप से गुप्त सूचनाएं साझा करने वाले सिलीगुड़ी में तैनात सेना के एक हवलदार फरीद खान की पिछले सप्ताह गिरफ्तारी के बाद सुरक्षा खतरों के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में मेजर जनरल बेदी ने कहा कि इस तरह की घटनाएं पहले भी हुई हैं.
इस तरह के मामलों में हम लोग पुलिस एवं राज्य सरकार के साथ नियमित रूप से सूचनाओं को आदान-प्रदान करते रहते हैं. वहीं सेना के एक सीनियर अधिकारी ने दावा किया कि सिपाहियों को कोई संवेदनशील सूचना नहीं दी जाती है. उन्होंने कहा कि जो चीजें वे जानते हैं वे पहले से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं या हमें नुकसान पहुंचाने लायक संवेदनशील नहीं हैं. आमतौर पर सिपाहियों की पहुंच संवेदनशील सूचनाआें एवं दस्तावेजों तक नहीं होती हैं.