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ममता की गिरफ्तारी से ही खत्म होगी गुंडागर्दी : मो सलीम

कालियागंज: नारायणगढ़ में रैली के दौरान माकपा के राज्य सचिव सूर्यकांत मिश्र पर हुए हमले की कड़ी निंदा करते हुए उत्तर दिनाजपुर जिले में वाम समर्थकों ने ‘धिक्कार रैली’ निकाली. इसमें रायगंज के सांसद मोहम्मद सलीम भी शामिल थे. इस मौके पर उन्होंने राज्य की तृणमूल सरकार पर जमकर हमला बोला. सांसद श्री सलीम ने […]

कालियागंज: नारायणगढ़ में रैली के दौरान माकपा के राज्य सचिव सूर्यकांत मिश्र पर हुए हमले की कड़ी निंदा करते हुए उत्तर दिनाजपुर जिले में वाम समर्थकों ने ‘धिक्कार रैली’ निकाली. इसमें रायगंज के सांसद मोहम्मद सलीम भी शामिल थे. इस मौके पर उन्होंने राज्य की तृणमूल सरकार पर जमकर हमला बोला.


सांसद श्री सलीम ने कहा कि तृणमूल नेता व राज्य के परिवहन मंत्री ने कहा था कि चिटफंड पीड़ितों को उनका रुपया वापस कराना व चिटफंड कांड से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी सरकार का लक्ष्य है, लेकिन अभी तक राज्य के चिटफंड पीड़ितों को उनका रुपया नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि मुकुल तृणमूल से दरकिनार हो चुके हैं और मदन मित्रा जेल में हैं, जिसकी वजह से तृणमूल कांग्रेस की गुंडागर्दी कुछ हद तक कम हुई है. और, ममता बनर्जी की गिरफ्तारी के साथ ही राज्य में चल रही गुंडागर्दी पूरी तरह समाप्त हो जायेगी. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर ही रैली पर हमला किया गया.


उन्होंने कहा कि बलात्कार जैसे गंभीर अपराध की पीड़िताओं मौसमी व टुंपा के प्रतिवाद को मुख्यमंत्री की कातिलाना धमकी ने दबा दिया. सारधा सहित अन्य चिटफंडों से जुड़े आरोपियों की रक्षा स्वयं मुख्यमंत्री कर रही हैं. मुख्यमंत्री पर चिटफंड कांड में शामिल होने की ओर इशार करते हुए श्री सलीम ने कहा कि मुख्यमंत्री के रवैये से यह साफ नहीं हो रहा है कि चिटफंड का मुख्य कर्णधार कौन है. चिटफंड के मुख्य कर्णधार के गिरफ्तार होने से राज्य की परिस्थिति में सुधार तो अवश्य होता.

‘गंठबंधन शब्द ममता को शोभा नहीं देता’

ममता बनर्जी के बिहार के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री नितीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थित होने पर कटाक्ष करते हुए श्री सलीम ने कहा कि मुख्यमंत्री गयीं, इस पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उनके मुंह से गंठबंधन शब्द शोभा नहीं देता. 2011 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस व अन्य वाम मोरचा विरोधी दलों के साथ गंठजोड़ कर ममता बनर्जी ने जीत तो हासिल कर ली थी, लेकिन चुनाव समाप्त होते ही वह सभी सहभागी दलों को भूल गयीं. जनता ऐसी सुविधावादी नेता को अच्छी तरह पहचान गयी है. संघर्ष के लिए एकसाथ होने का तो वामदल का नारा स्वतंत्रता के बाद से ही रहा है. वाम दल जनता को ज्यादा चमक नहीं दिखाते, बल्कि असलियत से वाकिफ कराके संघर्ष का आह्वान करते हैं. सांसद ने बताया कि राज्य के नागरिकों व श्रमिकों के हित के लिए वाम मोरचा लड़ता रहा है और आगे भी अपनी लड़ाई जारी रखेगा.

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