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खाद्य प्रसंस्करण की कई योजनाएं बनीं

कोलकाता. देश में प्रत्येक वर्ष लगभग 52 हजार करोड़ रुपये की सब्जियां व अन्न नष्ट हो जाते हैं, क्योंकि यहां उत्पादित कुल अनाज का सिर्फ दो प्रतिशत ही खाद्य प्रसंस्करण के रूप में प्रयोग किया जाता है. इसलिए वर्तमान केंद्र सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण को विकसित करने के लिए कई योजनाएं तैयार की हैं. यह […]

कोलकाता. देश में प्रत्येक वर्ष लगभग 52 हजार करोड़ रुपये की सब्जियां व अन्न नष्ट हो जाते हैं, क्योंकि यहां उत्पादित कुल अनाज का सिर्फ दो प्रतिशत ही खाद्य प्रसंस्करण के रूप में प्रयोग किया जाता है. इसलिए वर्तमान केंद्र सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण को विकसित करने के लिए कई योजनाएं तैयार की हैं. यह जानकारी शुक्रवार को केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने आइसीसी की ओर से आयोजित कार्यक्रम में दी.
उन्होंने कहा कि केंद्र व राज्य सरकारों को आपस में को-ऑर्डिनेशन बढ़ाते हुए इस आेर कार्य करना होगा, तभी खाद्य प्रसंस्करण उद्याेग का समुचित विकास हो पायेगा. देश में जिस प्रकार से जनसंख्या बढ़ रही है, ऐसे में जमीन प्रमुख समस्या बन गयी है. मेगा फूड पार्क बनाने के लिए जमीन उपलब्ध होना मुश्किल है, इसलिए उन्होंने स्माल स्केल की खाद्य प्रसंस्करण यूनिट बनाने की वकालत की.

उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल के जंगीपुर में मेगा फूड पार्क बनाने का काम शुरू किया जायेगा. इसके साथ ही यहां के पांच कोल्ड चेन प्रोजेक्ट व 10 रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर की स्थापना के लिए को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है. इस मौके पर राज्य के खाद्य प्रसंस्करण मंत्री कृष्णेंदु नारायण चौधरी ने कहा कि राज्य में अमरूद, आम, अन्नानस व लिची का उत्पादन अधिक मात्रा में होता है, इसलिए यहां खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास की संभावनाएं अधिक है. फूड पार्क के लिए राज्य सरकार ने जमीन खरीदने के लिए प्रत्येक एकड़ 45 लाख रुपये कीमत तय की है. इस मौके पर केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण विभाग के अतिरिक्त सचिव जेपी मीणा, राज्य के खाद्य प्रसंस्करण व होर्टिकल्चर विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सीएम बच्छावत सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे.

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