कोलकाता. पाकिस्तानी निर्देशक सरमद सुल्तान खुसत और उनकी फिल्म ‘मंटो’ के साथी कलाकार निमरा बुचा शहर में पहुंच चुके हैं. कोलकाता अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में सिनेमा की दुनिया के जाने-माने लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो चुका है. सरमद और निमरा पहली बार किसी भारतीय शहर में आये हैं. उनकी फिल्म कहानीकार मंटो की जिंदगी पर केंद्रित है. मुंबई जाने का वीजा होने के बावजूद सरमद और निमरा मुंबई फिल्म महोत्सव में अपनी फिल्न के फिल्मांकन के मौके पर नहीं पहुंचे. उनका कहना है कि डरे होने के कारण वे मुंबई नहीं गये.
हालांकि उनसे किसी ने आधिकारिक तौर पर अपना दौरा रद्द करने को नहीं कहा, लेकिन जिस तरह का माहौल और इससे जुड़ी बातें सामने आ रही थीं वैसे में संदेश स्पष्ट था. सरमद कहते हैं कि हमारी फिल्म दिखायी जा रही है. लेकिन हमें समझ नहीं आ रहा कि हमारे यहां आने को कम करके आंका गया और इसे ज्यादातर तो छुपाकर रखा गया. सरमद और निमरा किसी भी कारण से अपनी फिल्म के दिखाए जाते समय वहां होकर भी छुपे नहीं रहना चाहते थे और इसलिए उन्होंने मुंबई नहीं जाने का फैसला किया.
गौरतलब है कि मुंबई में गुलाम अली के कार्यक्रम को लेकर जो हुआ उसकी याद पुरानी नहीं पड़ी है. सरमद और निमरा दोनों का मानना है कि वे किसी भी लिहाज से गुलाम अली जितने लोकप्रिय नहीं हैं. सरमद बताते हैं कि हमारे लिए वहां होकर भी पहचान में ना आना आसान था. कोलकाता में मंटो की लोकप्रियता देखकर सरमद और निमरा को कोई आश्चर्य नहीं हुआ, पर उन्हें नहीं पता था कि सत्यजीत रे ने अपनी फिल्म ‘राजकाहिनी’ के द्वारा कितनी खूबसूरती से मंटो की मशहूर कहानी ‘खोल दो’ को श्रद्धांजलि दी है. दोनों को रे की फिल्मों और मंटों की कहानियों के बीच कई समानताएं दिखती हैं.
सरमद ने कहा कि मैं मंटो पर बनाई गई नंदिता दास की फिल्म का इंतजार कर रहा हूं. पाकिस्तान पर भारत में आतंकी कार्रवाईयां कराने और आतंकियों को पनाह देने का आरोप लगाए जाने के जवाब में निमरा का कहना है कि यह सच नहीं है. हम खुद ही आतंकवाद से पीड़ित हैं.