कोलकाता. सीबीआइ ने करोड़ों रुपये के सारधा चिटफंड घोटाले में पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री मदन मित्रा की जमानत खारिज करने की गुहार लगाते हुए कलकत्ता हाइकोर्ट में याचिका दायर की. शनिवार को अलीपुर जिला व दायरा अदालत ने मदन मित्रा को जमानत दी थी और उसके बाद वह घर चले गये थे.
हाइकोर्ट के न्यायाधीश हरीश टंडन और न्यायाधीश इशान चंद्र दास की अवकाशकालीन एक खंडपीठ ने सीबीआइ को अपनी याचिका की प्रति मदन मित्रा के वकील को देने और फिर अदालत के समक्ष मामले को लाने की अनुमति दी. पिछले साल 12 दिसंबर को सीबीआइ ने मदन मित्रा को गिरफ्तार किया था. अलीपुर जिला और सत्र अदालत के जज (प्रभारी) पार्थ प्रतीम दास ने उन्हें जमानत प्रदान की थी. बीमारी के चलते मदन मित्रा 11 फरवरी से एसएसकेएम अस्पताल में भरती थे.
जमानत मिलने के एक दिन बाद अस्पताल के मेडिकल बोर्ड द्वारा फिट घोषित करने के बाद वह घर चले गये. मंगलवार की सुबह अवकाशकालीन खंडपीठ से सीबीआइ के वकील के राघावाचारुइलु ने याचिका दायर करने की अनुमति मांगी. खंडपीठ ने मामला दायर कर दोपहर दो बजे पेश होने के लिए कहा.
दोपहर को सीबीआइ के वकील उपस्थित हुए. अदालत में उन्होंने कहा कि अवैध तरीके से निचली अदालत ने मदन मित्रा को जमानत दी है. जिस धारा के तहत सीबीआइ को नोटिस देने की बात थी, उसके तहत उन्हें नोटिस नहीं मिला. साथ ही यह भी कहा कि निचली अदालत ने एक्स पार्टी (एक पक्ष के बगैर), अवैध व पूर्वनिर्धारित तरीके से जमानत दी. मदन मित्रा के खिलाफ गंभीर आरोप हैं. सीबीआइ के लगभग 20 पन्नों की याचिका में जमानत को अवैध बताया गया है. मामले की अगली सुनवाई पांच नवंबर को हो सकती है.