कोलकाता: कलकत्ता हाइकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को सारधा समूह के खिलाफ की गयी कार्रवाई के बारे में हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है. साथ ही अदालत ने कंपनी को निर्देश दिया कि वह अगले आदेश तक कोई लेन-देन नहीं करे.
सारधा समूह द्वारा कथित तौर पर किये गये करोड़ों रुपये के चिटफंड घोटाले की सीबीआइ जांच की मांग करनेवाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्र और न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची की पीठ ने राज्य सरकार को दो मई तक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया. यह जनहित याचिका अधिवक्ता बसाबी रायचौधरी ने दायर की है.
सारधा समूह के अध्यक्ष सुदीप्त सेन और उनके करीबी सहायक देबजानी मुखर्जी और अरविंद चौहान को जम्मू कश्मीर के सोनमर्ग से गिरफ्तार किया गया था और बुधवार को यहां लाया गया. इस मामले में अब तीन मई को आगे सुनवाई होगी. इधर, सारधा में पैसा जमा करनेवाली संध्या रानी नंदी सहित 13 लोगों ने जनहित याचिका दायर कर मामले की सीबीआइ जांच और जमाकर्ताओं की रकम लौटाने की अपील की गयी है. दोनों जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई होगी.
राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि इस मामले की जांच के लिए कमेटी बनायी गयी है. उन्हें समय दिया जाना चाहिए. सीबीआइ के वकील हिमांशु दे ने बताया कि असम हाइकोर्ट के निर्देशानुसार वह मामले की प्राथमिक जांच कर चुके हैं. अदालत की ओर से प्राथमिक रिपोर्ट को कोर्ट में जमा करने के लिए कहा गया है. उधर, सेबी के वकील प्रशांत दत्त ने कहा कि सारधा को उन्होंने नोटिस दिया था कि तीन महीने के भीतर पैसा जमा करनेवालों के पैसे वापस कर दिये जायें.