सोमवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने यह आदेश दिया. सोमवार को इस मामले में राज्य सरकार की ओर से हलफनामा जमा करने के लिए आवेदन किया गया था, लेकिन आवेदन को खंडपीठ ने खारिज कर दिया. उल्लेखनीय है कि गत 17 अप्रैल को हलफनामा जमा करने की तिथि थी. लेकिन राज्य सरकार की ओर से इसे जमा नहीं किया गया. याचिकाकर्ता सुबीर दे के वकील सुभाशीष चक्रवर्ती व अरिंदम दास ने कहा कि सारधा कांड में गठित आयोग के कारण 500 करोड़ रुपये राज्य सरकार ने मंजूर किया था, लेकिन अभी तक 353 करोड़ रुपये इस फंड में राज्य सरकार के पास बच गये हैं. यह पैसा कहां और कैसे है इस बाबत राज्य सरकार आरटीआइ आवेदन में उत्तर नहीं दे सकी है.
इसलिए उनकी मांग है कि इस संबंध में हाइकोर्ट हस्तक्षेप करे. मामले की अगली सुनवाई पांच अक्तूबर को होगी. एक अन्य मामले में, एमपीएस व रोज वैली की याचिकाओं को संयुक्त कर पांच अक्तूबर को सुनवाई होगी. एमपीएस की ओर से झाड़ग्राम के उनके कार्यालय में एक इलेक्ट्रिक कनेक्शन के लिए अनुमति मांगी गयी थी. हालांकि हाइकोर्ट ने यह अनुमति नहीं दी.