कोलकाता. एक समय का भोजन नहीं करने से आम आदमी व्याकुल हो जाता है, वहीँ लगातार 30 दिनों तक अन्न-फल या किसी भी प्रकार के खाद्य पदार्थ का त्याग किये रखना असंभव लगता है. पर ऐसा ही एक त्याग दिगम्बर जैन धर्म के महान पर्व पर कर रहे हैं कोलाघाट के प्रवासी और हावड़ा वंगवासी के निवासी 76 वर्षीय रविन्द्र जैन, जिन्होंने 32 दिनों के लिये अन्न का त्याग कर उपवास रखा है.
अपना यह उपवास वे 28 सितंबर को दसलक्षण पर्व की समाप्ति के उपरांत समाप्त करेंगे. रविंद्रजी ने पहली बार ऐसा त्याग नहीं किया है, यह तीसरी बार है, जब वो लगातार 32 दिनों तक उपवास रखेंगे. आश्चर्य तो तब होता है जब 30 दिनों तक उपवास रखने के वावजूद वह आम आदमी की तरह सक्रिय हैं.
दिगम्बर जैन धर्म त्याग का धर्म है और उसकी परंपरा को निभाते हुए जो त्याग वो कर रहे हैं, वो किसी भी सामान्य व्यक्ति के लिए संभव नहीं है. 3 बार लगातार 32 दिनों के उपवास के अलावा उन्होंने 30 बार दसलक्षण का 10 दिन का उपवास, 40 बार 3 दिन का रत्नत्रय उपवास भी किया है. 11 साल की उम्र से ही वे 24 घंटे में केवल एक बार अन्न और जल ग्रहण करते चले आ रहे हैं. 9 साल की उम्र में उन्होंने महान तीर्थ स्थल सम्मेद शिखरजी की वंदना की थी और तभी से उन्होंने आजीवन जमीकंद का त्याग कर दिया था.