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ममता के बयान पर सूर्यकांत का कटाक्ष, ममता के भाषण में तानाशाही के संकेत

कोलकाता. श्रमिकों के अधिकार छीनने में पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच सांठगांठ होने का आरोप लगाते हुए राज्य के विधानसभा में विपक्ष के नेता डॉ सूर्यकांत मिश्रा ने कहा कि शुक्रवार को महानगर में आयोजित एक छात्र रैली में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भड़काऊ भाषण तानाशाही का संकेत है. जब मजदूर संगठनों […]

कोलकाता. श्रमिकों के अधिकार छीनने में पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच सांठगांठ होने का आरोप लगाते हुए राज्य के विधानसभा में विपक्ष के नेता डॉ सूर्यकांत मिश्रा ने कहा कि शुक्रवार को महानगर में आयोजित एक छात्र रैली में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भड़काऊ भाषण तानाशाही का संकेत है. जब मजदूर संगठनों और श्रमिकों के अधिकार छीनने की बात आती है तो राज्य और केंद्र एक ही पलड़े में नजर आते हैं.

आरोप के मुताबिक वे लोकतांत्रिक आवाजों का गला घोटना चाहते हैं. इधर शुक्रवार को ट्वीट के जरिये मिश्रा ने कहा कि कथित तौर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा कहा गया है कि वामपंथियों का सूपड़ा साफ करने व सबक सिखाने में सिर्फ एक मिनट लगेगा. ट्वीट में मिश्रा ने सुश्री बनर्जी को आगामी दो सितंबर तक इंतजार करने को कहते हुए कहा कि वे लोगों की धैर्य की परीक्षा ना लें. भड़काऊ भाषण सिर्फ तानाशाही की मानसिकता को जाहिर करता है. विगत गुरुवार को नवान्न अभियान के दौरान तृणमूल सरकार और प्रशासन के प्रति लोगों का गुस्सा जग जाहिर हो गया है.

अब आगामी दो सितंबर को देशव्यापी हड़ताल के दौरान राज्य में नया इतिहास कायम होगा. यह चैलेंज देते हुए माकपा राज्य कमेटी के सचिव डाॅ सूर्यकांत मिश्रा ने कहा कि लोगों के आंदोलन व विरोध को रोका नहीं जा सकता है. कथित तौर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि हड़ताल को राज्यवासी स्वीकार नहीं करेंगे. इधर आम लोगों को ही सामने रखते हुए मिश्रा ने कहा कि आम लोग अपने अधिकारों के लिए ही आंदोलन करेंगे और आगामी बुधवार राज्य में नया इतिहास बनाया जायेगा. विगत गुरुवार को वामपंथी किसान व खेतिहर मजदूर संगठनों के नवान्न अभियान के दौरान कोलकाता और हावड़ा के कई इलाकों में पुलिस से झड़प व लाठीचार्ज की घटना में घायल कार्यकर्ताओं और पुलिस कर्मियों के प्रति माकपा नेता ने संवेदना जतायी है.

कथित तौर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा उक्त घटना को नारकीय घटना बताये जाने व वामपंथियों की राजनीति पर सवाल उठाये जाने संबंधी प्रश्न पर मिश्रा ने आरोप लगाया कि तृणमूल सुप्रीमो जो कहती हैं, शायद उन्हें पता ही नही रहता है कि उन्हें क्या कहना है. पूर्ववर्ती वाममोरचा सरकार ने राज्य के विकास के लिए जितना कुछ किया है, तृणमूल सरकार के सत्ता में उतने विकास की बात छोड़ दीजिए, इनके शासनकाल में राज्य का विकास थम गया है. सिंगुर आंदोलन समेत विगत कई आंदोलन को तृणमूल के नेता शायद भूल गये हैं. उस वक्त क्या लोगों को परेशानी नहीं हुई थी? विपक्षी दलों और आम लोगों को दबाने की कोशिश करने पर आम लोग ही उन्हें जवाब देंगे.

नवान्न अभियान के दौरान नेताओं व कार्यकर्ताओं के खिलाफ गैर जमानती धारा के तहत शिकायत दर्ज किये जाने के प्रश्न पर माकपा नेता ने आरोप लगाया कि इसमेें नया कुछ नहीं हैस तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से ही वामपंथी नेताओं पर कार्यकर्ताओं के खिलाफ झूठे मामले दर्ज किये जा रहे हैं.

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