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सटिक इलाज से प्रोस्टेट कैंसर से छुटकारा संभव

कोलकाता. प्रोस्टेट कैंसर का नाम आते ही लोग भय से सिहर उठते हैं. लोगों में यह आम धारण है कि कैंसर का इलाज संभव नहीं है, पर अपोलो ग्लेनीगल्स अस्पताल के विशिष्ट यूरोलोजिस्ट डॉ अमित घोष का कहना है कि सटिक इलाज से पुरुषों के प्रोस्टेट ग्रंथी के कैंसर से छुटकारा संभव है. डॉ घोष […]

कोलकाता. प्रोस्टेट कैंसर का नाम आते ही लोग भय से सिहर उठते हैं. लोगों में यह आम धारण है कि कैंसर का इलाज संभव नहीं है, पर अपोलो ग्लेनीगल्स अस्पताल के विशिष्ट यूरोलोजिस्ट डॉ अमित घोष का कहना है कि सटिक इलाज से पुरुषों के प्रोस्टेट ग्रंथी के कैंसर से छुटकारा संभव है. डॉ घोष के अनुसार पुरुषों की मूत्र थैली के नीचे एक छोटा सा प्रोस्टेट ग्लैंड होता है. 50 वर्ष की उम्र पार करते ही सेकेंड्री सेक्सुअल ग्लैंड का आकार बढ़ने लगता है, जिसके कारण बार-बार पेशाब लगती है, रात में कई बार उठना पड़ता है. वक्त के साथ यह समस्या बढ़ती ही जाती है. 20-25 प्रतिशत मामलों में यह समस्या प्रोस्टेट कैंसर का रूप धारण कर लेती है. कैंसर के अन्य कारणों की तरह प्रोस्टेट कैंसर में भी शुरुआती चरण में इसका कोई लक्षण दिखायी नहीं देता है. इसलिए पेशाब संबंधी कोई भी समस्या होने पर प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटिजेन ( पीएसए) नामक जांच अवश्य करवानी चाहिए. डॉ घोष ने बताया कि कैंसर का पता चलते ही वक्त गंवाये बगैर फौरन प्रोस्टेट सर्जरी करवानी चाहिए. वर्तमान में माइक्रोसर्जरी या रोबोटिक सर्जरी जैसे अत्यधुनिक चिकित्सा पद्धति से बगैर किसी जटिलता के प्रोस्टेट ग्लैंड निकाल दिया जाता है. सफल ऑपरेशन के बाद रैडिकल रेडियो थैरेपी की जरूरत पड़ती है. डॉ घोष का कहना है कि अगर कैंसर न भी हो तो भी प्रोस्टेट ग्लैंड की समस्या बढ़ने पर सर्जरी करवाना उचित है. डा. घोष का कहना है कि 50 वर्ष की उम्र पार करते ही पुरुषों को वर्ष में एक बार पीएसए जांच जरूर करवानी चाहिए एवं जरूरत पड़ने पर प्रोस्टेट डिजिटल रेक्टल एक्जामिनेशन करवाना भी उचित है.

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