कोलकाता, नयी दिल्ली: कोलकाता और चेन्नई हवाई अड्डे को निजी हाथों में सौंपने के सरकार के फैसले की निंदा करते हुए माकपा ने आज कहा कि इससे कर्मचारियों का भविष्य खतरे में पड़ जायेगा और निजीकरण योजना को तत्काल रद्द करने की मांग की. माकपा पोलित ब्यूरो ने दो दिनों तक चली बैठक के बाद अपने बयान में कहा : केंद्र सरकार को तत्काल निजीकरण योजना को रद्द कर देना चाहिए.
माकपा ने भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (एएआई) के स्वामित्व वाले चेन्नई और कोलकाता के दो मेट्रो हवाई अड्डों का संचालन निजी क्षेत्र को सौंपे जाने के निर्णय की आलोचना की. सरकार ने छह हवाई अड्डे चेन्नई, कोलकाता, लखनऊ, अहमदाबाद, जोधपुर और गुवाहाटी के कामकाज को राजस्व आदान प्रदान मॉडल के आधार पर निजी सार्वजनिक साङोदारी के तहत निजी परिचालकों को सौंपने का निर्णय किया है.
निजीकरण योजना का विरोध करते हुए माकपा ने कहा कि एएआई ने दोनों हवाई अड्डों पर नये टर्मिनल का निर्माण किया है और सार्वजनिक वित्त पोषित हवाईअड्डों को अब निजी कंपनियों को सौंपा जायेगा. एएआई ने हाल ही में कोलकाता और चेन्नई हवाई अड्डों का आधुनिकीकरण किया जिस पर क्रमश: 2,325 करोड़ रुपये और 2,015 करोड़ रुपये लागत आयी. एएआई ने चार अन्य हवाई अड्डों पर यात्री टर्मिनल एवं परिचालनात्मक सुविधाओं का उन्नयन किया जिसके निजीकरण की अब बात की जा रही है.
सार्वजनिक सम्पत्ति की देखरेख के अलावा एएआई के कर्मचारियों का भविष्य खतरे में पड़ जायेगा. इसके अलावा 12 अन्य हवाई अड्डों को भी निजी कंपनियों को दिया जायेगा.भाजपा और वाममोरचा सहित विपक्षी दलों ने कल एयर इंडिया के निजीकरण के संबंध में नागर विमानन मंत्री अजीत सिंह के बयान की आलोचना की थी.