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स्वयं को भगवान कहनेवालों से सावधान रहें : आचार्य धर्मेंद्रजी

कोलकाता. स्वयं को भगवान कहनेवाले ढोंगी और पाखंडी हर युग में रहे हैं. विवेकीजन को ऐसे व्यवसायियों से सावधान रहना चाहिए क्योंकि कलियुग में, वर्तमान समय में ऐसे लोगों की बाढ़ सी आ गयी है. उन्होंने कहा कि ऐसे धूर्त, पाखंडी स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के सामांतर अपने पाखंड का प्रपंच फैलाकर उन्हें ही चुनौती दे […]

कोलकाता. स्वयं को भगवान कहनेवाले ढोंगी और पाखंडी हर युग में रहे हैं. विवेकीजन को ऐसे व्यवसायियों से सावधान रहना चाहिए क्योंकि कलियुग में, वर्तमान समय में ऐसे लोगों की बाढ़ सी आ गयी है. उन्होंने कहा कि ऐसे धूर्त, पाखंडी स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के सामांतर अपने पाखंड का प्रपंच फैलाकर उन्हें ही चुनौती दे रहे थे, तो आज की स्थिति में वो जो भी कर डाले कम है. करूष देश के मूढराजा पौंडूक वासुदेव ने घोषित कर दिया था कि असली भगवान वही हैं. द्वारिकाधीश वासुदेव श्रीकृष्ण नकली हैं. बलरामजी के अनुरोध पर भगवान श्रीकृष्ण ने उसका संहार किया था. उन्होेंने कहा कि वासुदेव नामधारी वह धूर्त भगवान श्रीकृष्ण की नकल में मोर मुकुट भी धारण करता था और वेश-विन्यास, तिलक आदि सबमें उन्हीं का अनुकरण करता था. भगवान के भक्तों को भगवान की नकल नहीं करनी चाहिए. भगवान के उपदेशों का पालन करना चाहिए. उनकी लीलाओं से सीख ग्रहण करनी चाहिए. गोरक्षा, गो पालन, धर्मद्रोहियों का प्रतिरोध, दीनों, अनाथों, पीडि़तों, वंंचितों, अबलाओं की रक्षा भगवान के प्रियकर्म हैं. इन्हें अपना कर भगवान का कृपा पात्र बना जा सकता है. ये बातें पवित्र पुरु षोत्तम मास में पावन परिवार द्वारा आयोजित नविदवसीय श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन आचार्य स्वामी धर्मेंद्रजी महाराज ने कहीं. इससे पूर्व आज के मुख्य यजमान शिवभगवान बगडि़या के सुपुत्र विनोद बगडि़या ने व्यास पीठ का पूजन किया जबकि लक्ष्मीकांत तिवारी, शकुंतला तिवारी, भागीरथमल गोयल, पवन निगानिया, भीम सेन अग्रवाल आदि ने महाराज जी माल्यार्पण कर स्वागत किया.

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