कोलकाता : हूल दिवस के मौके पर पश्चिम बंगाल के सूचना व संस्कृति विभाग द्वारा विज्ञापन प्रकाशित किया गया है. इस विज्ञापन में वर्ष 1855 में हुए संथाल आंदोलन में सिधो व कान्हू के साथ ही बिरसा मुंडा का भी नाम दिया गया है, जबकि इस आंदोलन के समय तो बिरसा मुंडा का जन्म भी नहीं हुआ था. इस विज्ञापन में राज्य सरकार ने संथाल आंदोलन के लिए सिधो व कान्हू के साथ ही बिरसा मुंडा को भी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी है. बिरसा मुंडा ने आदिवासियों के उत्थान के लिए काफी लड़ाई लड़ी है, लेकिन 1855 के संथाल आंदोलन में उनकी कोई भूमिका नहीं थी.
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सरकारी विज्ञापन में एक और भूल
कोलकाता : हूल दिवस के मौके पर पश्चिम बंगाल के सूचना व संस्कृति विभाग द्वारा विज्ञापन प्रकाशित किया गया है. इस विज्ञापन में वर्ष 1855 में हुए संथाल आंदोलन में सिधो व कान्हू के साथ ही बिरसा मुंडा का भी नाम दिया गया है, जबकि इस आंदोलन के समय तो बिरसा मुंडा का जन्म भी […]
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