फोटो है पुरुषोत्तम मास पर उल्टाडांगा में श्रीमद् भागवत कथा का 6वां दिनकोलकाता. 84 लाख योनियों में भटकने के बाद मिला यह मनुष्य तन, परोपकार और परमात्मा की प्राप्ति के लिये है. इसका सदुपयोग करना चाहिये. अगर आप चाह कर भी कोई तीर्थ नहीं कर पा रहे हैं तो उसके लिये मन को दु:खी करने की जरूरत नहीं है. आप अपने आस-पास के गरीब-दुखियारों की सेवा में लग जायें. उनके विपन्न जीवन को प्रसन्नता से परिपूर्ण करने का प्रयत्न करंे. उनकी अंतरात्मा से निकली दुआ आपके लिये अमृत बन जायेगी और आपको घर बैठे सबसे बड़े तीर्थ का पुण्य मिलेगा. ये बातें उल्टाडांगा विधान नगर रेलवे स्टेशन के निकट स्थित मर्लिन बिल्डिंग में पुरुषोत्तम मास के उपलक्ष्य में ओमप्रकाश बिमला देवी कालुका के यजमानत्व में आयोजित सप्ताह व्यापी श्रीमद् भागवत महापुराण यज्ञ के छठवें दिन की कथा का प्रारंभ करते हुए भागवत मर्मज्ञ पं. मालीरामजी शास्त्री ने कहीं. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में परोपकार को पुण्य की संज्ञा दी गयी है और परपीड़नम अर्थात दूसरों को पीड़ा देने को पाप बताया गया है. श्रीमद् भागवत महापुराण के अनुसार, दूसरों के उपकार के बराबर कोई धर्म नहीं है और दूसरों को पीड़ा पहुंचाने के समान कोई पाप नहीं है. उन्होंने कहा कि भगवान को पाने के लिये उन्हें अंतर्मन से पुकारने की जरूरत है. जब सांसारिक मोहमाया से मन मुक्त हो जायेगा तो परमात्मा का स्वत: दर्शन हो जायेगा. मंगलवार को कथा प्रसंग के अनुसार रुक्मिणी मंगल विवाह का आयोजन किया गया जिससे श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे. संयोजक मनीष कालुका ने बताया कि इस सप्ताह व्यापी भागवत कथा का समापन कल (24 जून) होगा जिसमें सुदामा चरित, परीक्षित मोक्ष की कथा के बाद हवन व प्रसाद का आयोजन दोपहर 2 बजे से सायं 6 बजे तक होगा.
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परहित सबसे बड़ा तीर्थ : पं. मालीराम शास्त्री
फोटो है पुरुषोत्तम मास पर उल्टाडांगा में श्रीमद् भागवत कथा का 6वां दिनकोलकाता. 84 लाख योनियों में भटकने के बाद मिला यह मनुष्य तन, परोपकार और परमात्मा की प्राप्ति के लिये है. इसका सदुपयोग करना चाहिये. अगर आप चाह कर भी कोई तीर्थ नहीं कर पा रहे हैं तो उसके लिये मन को दु:खी करने […]
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