मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने सीबीआइ के वकील को इस हत्याकांड के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट हलफनामा के माध्यम से जमा करने का निर्देश दिया. हालांकि इस हत्याकांड की सीबीआइ जांच का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है, इसलिए न्यायाधीश ने पूछा कि निचली अदालत के साथ-साथ सीबीआइ ने क्या सुप्रीम कोर्ट में भी चाजर्शीट की जमा की है या नहीं और चाजर्शीट जमा करते समय सीबीआइ ने आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग थी या नहीं, इस संबंध में पूरी रिपोर्ट जमा करनी होगी.
मामले की सुनवाई के दौरान विमल गुरुंग पक्ष के वकील शेखर बसु ने आरोप लगाया कि सीबीआइ की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कोई रिपोर्ट जमा नहीं की गयी है और न ही चाजर्शीट जमा करते समय आरोपियों की गिरफ्तारी के बारे में कुछ कहा गया था. अचानक से छह जून को सीबीआइ ने आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग की.
उन्होंने निचली अदालत द्वारा दिये गये फैसले को भी गैरकानूनी करार दिया. वहीं, सीबीआइ के वकील मोहम्मद अशरफ अली ने कहा कि सीबीआइ द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चाजर्शीट की कॉपी जमा की है, लेकिन जब कॉपी की मांग की गयी तो उन्होंने इसके लिए तीन सप्ताह का समय मांगा. हाइकोर्ट ने सीबीआइ को दो सप्ताह का समय दिया है और मामले की अगली सुनवाई एक जुलाई को हाइकोर्ट में होगी.